जंग लगने से विश्व में कुल उत्पादन का 15% लोहा प्रतिवर्ष नष्ट हो जाता है। अतः जंग लगना भी संक्षारण का उदहारण है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
➤संक्षारण की क्रियाविधि : लोहे पर जंग लगना एक विद्युत रासायनिक क्रिया है। जंग लगने से लोहे की सतह पर एक विद्युत रासायनिक पदार्थ का निर्माण होता है। Co₂ व O₂ जल की बूंदे लोहे की सतह पर एक परत बनाती है। Co₂ घुली होने के कारण जल की चालकता बढ़ जाती है और यह विद्युत अपघट्ये विलयन का कार्य करती है।
Co₂ + H₂O ⇋ 2H+ +Co₃-
लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण होता है।
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है।
💧एनोड पर:
Fe → Fe+ + 2e-
💧कैथोड पर:
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O
💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण :
2Fe+ + 2H₂O + O₂ → Fe₂O₃ + 4H+
यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) का लाल भूरा पाउडर बनाता है।
लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण हो जाता है।
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे के जंग लगने पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है।
💧 एनोड पर :
Fe → Fe+ + 2e-
💧कैथोड पर :
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O₂
💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण
2Fe+ + 2H₂O + → Fe₂O₃ + 4H+
यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) लाल भूरा पाउडर बनाता है।


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