HCL के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित कर सकते है , अतः HCL वैद्युत अपघट्ये है।
➤वैद्युत अपघटन : किसी वैद्युत अपघट्ये के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर उसमे अपघटन होने की क्रिया वैद्युत अपघटन कहलाती है।
HCL के जलीय विलयन विद्युत प्रवाहित करने पर अपघटन क्रिया निन्मवत होती है।
2HCL → H₂ + CL₂
➤आयनिक सिद्धांत : स्वान्ते आरहीनियस ने 1887 में वैद्युत अपघटन की क्रिया और वैद्युत अपघट्यो के अन्य गुणों को स्पष्ट करने के लिए एक सिद्धांत प्रतिपादित किया जो वैद्युत वियोजन का सिद्धांत या आयनिक सिद्धांत कहलाता है। इस सिद्धांत के अनुसार :
1. किसी वैद्युत अपघट्ये को जल या किसी अन्य विलायक में घोलने पर वह दो प्रकार के विद्युत आवेशित कणो में विभाजित हो जाता है। इस क्रिया को आयनन या वैद्युत वियोजन कहते है।
➤उदहारण - सोडियम क्लोराइड (NaCL) को जल में घोलने पर यह सोडियम आयन (Na+) तथा क्लोराइड आयनो में (CL-) में विभाजित हो जाता है।
NaCL ⇋ Na+ + CL-
2. विद्युत आवेश युक्त परमाणु या परमाणुओं के समूह को आयन कहते है। धनावेशित परमाणु या परमाणुओं के समूह को धनायन तथा ऋणावेशित परमाणु या परमाणुओं का समूह को ऋणायन कहते है।
3. किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन में उपस्थित धनायनों के आवेशों की कुल संख्या ऋणायनों के आवेशों की कुल संख्या के बराबर होती है। अर्थार्त वैद्युत अपघट्ये का विलयन विद्युत उदासीन होता है।
4. आयनन की क्रिया उत्क्रमणीय होती है जब किसी वैद्युत अपघट्ये को घोला जाता तो वैद्युत अपघट्ये के अणुओ तथा आयनो के मध्य साम्यावस्था स्थापित हो जाती है।
उदहारण : AB ⇋ A+ + B-
6. किसी वैद्युत अपघट्ये के भौतिक तथा रासायनिक गुण उसके आयनो के स्वभाव तथा उसकी आयनन की मात्रा पर निर्भर करते है।
7. किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन की वैद्युत चालकता विलयन में उपस्थित आयनो की संख्या तथा उनके आवेश पर निर्भर करती है।
यदि आयनो की संख्या अधिक तथा आवेश की मात्रा अधिक है , तो वैद्युत चालकता भी अधिक होगी है।












