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Sunday, July 26, 2020

Education for 12th Class chemistry Science[NCERT]

➤द्वितीयक सेल या संचायक सेल : वे उत्क्रमणीय गैल्वेनिक सेल जिनमे उच्च ऊर्जायुक्त पदार्थ जल्दी अभिक्रिया करके विद्युत धारा उत्पन्न करते है और अक्रिये हो जाते जाते है। इन पदार्थो को बाह्य स्रोतों के द्वारा सक्रिय बना लिया जाता है और सेल को जल्द ही आवेशित किया जा सकता है। इनको द्वितीयक सेल कहते है। इन द्वितीयक सेलो को संचायक सेल भी कहते है। 

इसमें एनोड Pb का बना होता है। Pb -Sb मिश्रधातु की जाली में महीन चूर्ण किया हुआ स्पंजी लेड भरा रहता है। कैथोड के रूप में Pb -Sb की जाली में Pb₂का महीन चूर्ण भरा होता है। इन कैथोड और एनोड के अनेक प्लेटो को एकान्तर क्रम में व्यवस्थित किया होता है तथा इनके मध्य प्लास्टिक या फाइबर ग्लास शीट लगी होती है। ये सभी प्लेट अम्ल में डूबी रहती है ,जो सख्त रबड़ या प्लास्टिक पात्र से भरा होता है। यहाँ H₂SO₄ विद्युत अपघट्ये का कार्य करता है। बैटरी के निरावेशित होते समय विद्युत धारा देते समय निन्म अभिक्रियाये संम्पन्न होती है। 

Battery Types - Primary Cell and Secondary Cells with Diagrams.
➤एनोड पर :
Pb + SO₄ → PbSO₄ + 2e-
➤कैथोड पर :
PbO₂ + SO₄ + 4H+ + 2e- → PbSO₄ + 2H₂O 
➤सम्पूर्ण सेल अभिक्रिया :
Pb + PbO₂ + 2H₂SO₄ → 2PbSO₄ + H₂O 
इस सेल का उपयोग मोटरगाड़ियों में होता है। इस प्रकार के सेल से 2 वोल्ट विद्युत प्राप्त होती है , 3 या 6 सेलो को श्रेणीक्रम में जोड़कर 6 या 12 वोल्ट विद्युत प्राप्त की जा सकती है। 


English Translation : 

Secondary cell or accumulator cell: Reversible galvanic cells in which high energetic materials react quickly to generate electric current and become active. These substances are activated by external sources and the cell can soon be charged. These are called secondary cells. These secondary cells are also called accumulator cells.
The anode is made of Pb. The finely spongy lead is filled in a mesh of Pb -Sb alloy. The lattice of Pb -Sb in the form of cathode is filled with fine powder of Pb₂. Many plates of these cathodes and anodes are arranged in alternating order and there is a plastic or fiber glass sheet between them. All these plates are immersed in acid, which is filled with a hard rubber or plastic vessel. Here H₂SO₄ acts as electrolyte. When the battery is discharged, a negative reaction occurs while delivering an electric current.

Battery Types - Primary Cell and Secondary Cells with Diagrams.

At the anode:
Pb + SO₄ → PbSO₄ + 2e-
At the cathode:
PbO₂ + SO₄ + 4H + + 2e- → PbSO₄ + 2H₂O
Whole Cell Reaction:
Pb + PbO₂ + 2H₂SO₄ → 2PbSO₄ + H₂O
This cell is used in trains. This type of cell provides 2 volts of power, 6 or 12 volts of power can be obtained by adding 3 or 6 cells in series.

Thursday, July 23, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤प्राथमिक सेल : वे वैद्युत रासायनिक या गैल्वेनिक सेल जिनमे रेडॉक्स अभिक्रिया केवल बार होती है। ये एक समय के पश्चात कार्य करना बंद देते है। और इन्हे प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक सेल कहलाते है। ये सेल अनुत्क्रमणीय होते है और कुछ समय बाद मर जाते है। 
इस प्रकार के सेलो के उदहारण शुष्क सेल या मर्करी सेल है। 



➤शुष्क सेल : इसमें ज़िंक का एक बेलनाकार बाहरी पात्र होता है जो एनोड का कार्य करता है। इस पात्र के अंदर विद्युतरोधी कागज का अस्तर होता है। इसमें एक पीतल की टोपियुक्त ग्रेफाइट की छड़ को चित्र के अनुसार रखते है जो कैथोड के रूप में प्रयुक्त होती है। 

Understanding the Working Principle and Uses of a Dry Cell Battery ...


इस  ग्रेफाइट की छड़ के चारो और Mno₂ तथा कार्बन या चारकोल का नीला पेस्ट भर देते है। एनोड तथा कैथोड के बीच रिक्त स्थान को NH₄CL और ZnCL₂ की लेइ से भर देते है। प्रयोग के दौरान Zn का उपभाग होता है तथा उस पर छिद्र बन जाते है। इसी कारण सेल के चारो और स्टील की सील लगा दी जाती है। सेल में विभिन्न इलेक्ट्रोडो पर अभिक्रियाएँ होती है।

 एनोड पर अभिक्रिया -
Zn → Zn²+ + 2e-
कैथोड पर अभिक्रिया -
2MnO₂ + 2NH₄ + 2e- → Mn₂O₃ + 2NH₃






➤Primary Cells: Electrical chemical or galvanic cells in which redox reaction occurs only once. They stop working after a time. And they cannot be used. Primary cells are called. These cells are non-degradable and die after some time.
Examples of this type of cello are dry cell or mercury cell.




➤Dry cell: It consists of a cylindrical outer vessel of zinc that acts as anode. This container has an insulating paper lining inside. In this, a brass toped graphite rod is placed according to the picture which is used as a cathode.


Understanding the Working Principle and Uses of a Dry Cell Battery ...

They fill the char and Mno₂ of this graphite rod and a blue paste of carbon or charcoal. The spaces between the anode and the cathode are filled with a layer of NH₄CL and ZnCL₂. During the experiment, there is a subdivision of Zn and holes are formed on it. For this reason, all four and steel seals are attached to the cell. Reactions take place at various electrodes in the cell.

 Reaction at anode -
Zn → Zn² + + 2e-
Reaction at the cathode -
2MnO₂ + 2NH₄ + 2e- → Mn₂O₃ + 2NH₃




Tuesday, July 21, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤कोलराउश का नियम : दुर्बल विद्युत अपघट्यो की मोलर चालकता की गणना करने के लिए कोलराउश ने एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कोलराउश का नियम कहते है। 

इसके अनुसार, अनन्त तनुता पर किसी विद्युत अपघट्ये की मोलर चालकता उसके सभी धनायनों और ऋणायनों आयनिक मोलर चालकता का योग होती है। 

➤कोलराउश के नियम का अनुप्रयोग : कोलराउश के नियम का महत्वपूर्ण अनुप्रयोग दुर्बल विद्युत अपघट्यो की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता की गणना करना है। 


➤उदहारण : ऐसीटिक अम्ल की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता के मान की गणना ,हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) ,सोडियम ऐसीटेट (CH₃COONa  तथा सोडियम क्लोराइड (NaCL) जैसे प्रबल विद्युत अपघट्यो की मोलर चालकताओ के मान हल करके की जाती है। 

➤रेडॉक्स विभव : जब सेल में ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया होती है तो धातु और विलयन के आयनो के मध्य स्थापित साम्ये में विभवान्तर को रेडॉक्स विभव कहते है। 
उदहारण : Ox + ne- → Red 



➤विशिष्ट चालकता : ऐसे दो इलेक्ट्रोडो जिनके अनुप्रस्थ परिछेद का क्षेत्रफल एक वर्ग सेमी हो तथा जो एक दूसरे से एक सेमी की दुरी पर स्थित हो विशिष्ट चालकता कहलाती है। इसका मात्रक ओम या म्हो होता है। 
k = Cl/A 

➤मोलर चालकता : एक सेमी दुरी और एक वर्ग सेमी अनुप्रस्थ परिछेद के क्षेत्रफल वाले दो समान्तर इलेक्ट्रोडो के बीच रखे विलयन में यदि एक ग्राम मोल विद्युत अपघट्ये घुला हो तो उस अवस्था में उसकी चालकता मोलर चालकता कहलाती है। 
ym = k1000 /M 
इसका मात्रक ओम या म्हो होता है। 



English Translation :
➤Colerausch's law: To calculate the molar conductivity of weak electrical decompositions, Colerau,s formulated a law known as Colerau's law.

Accordingly, the molar conductivity of an electrolyte at infinite dilution is the sum of all its cations and anionic ionic molar conductivity.

➤Application of Colerausch's law: An important application of Colerausch's law is to calculate the molar conductivity at infinite dilution of weak electrical decompositions.


➤Example: The value of molar conductivity at infinite dilution of acetic acid is calculated by solving the molar conductivity values ​​of strong electrolytes such as hydrochloric acid (HCL), sodium acetate (CH₃COONa and sodium chloride (NaCL)).

➤Redox potential: When an oxidation and reduction reaction occurs in a cell, the potential difference between the ion and the ion of the metal and the solution is called the redox potential.
Example: Ox + ne- → Red


➤Specific Conductivity: Two electrodes having an area of ​​transverse perimeter one square cm and located at a distance of one cm from each other are called specific conductivity. Its unit is om or mho.
k = Cl / A

➤Molar Conductivity: If a solution of one gram moles of electrolyte is dissolved in a solution placed between two parallel electrodes with an area of ​​one cm apart and one square cm transverse intersection, its conductivity in that state is called molar conductivity.
ym = k1000 / M
Its unit is om or mho.







Sunday, July 19, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤क्षार धातुएं : सभी क्षार धातुएं विद्युत रासायनिक श्रेणी में निन्मतं स्थान पर स्थित है क्योकिं इनके मान इलेक्ट्रोड विभव के मान उच्च होते है , फलस्वरूप इनकी इलेक्ट्रान दान करने धनायन बनाने की प्रवृति भी अधिक होती है जिसके फलस्वरूप ये प्रबल अपचायक होती है। 

➤विद्युत अपघटन : वह प्रक्रिया जिसमे विद्युत अपघट्ये पदार्थ अपनी गलित अवस्था या जलिये विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर अपघटित हो जाता है। विद्युत अपघटन कहलाती है।  


उदहारण : जलिये NaCL विलयन का विद्युत अपघटन निन्म प्रकार किया जाता है -
2NaCL ⇋ 2Na+ + 2CL-

➤चालकत्व की परिभाषा : किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन या उसकी गलित अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित करने की क्षमता उसका वैद्युत अपघटनी चालकत्व कहलाता है  
वैद्युत अपघट्यो के विलयनों का चालकत्व C उनके प्रतिरोध R का व्युत्क्रम होता है। 
C = 1/R 


➤विद्युत अपघटनी सेल : वह सेल जिसमे विद्युत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती हो , विद्युत अपघटनी सेल कहलाती है। इसमें एनोड धन ध्रुव व कैथोड ऋण ध्रुव होता है। इसमें बाह्य स्रोत से बैटरी या विद्युत ऊर्जा या अन्य स्रोतों से ऊर्जा प्रदान की जाती है। इसमें एक ही पात्र में एक ही वैद्युत अपघट्ये के विलयनों में दोनों डूबे रहते है तथा इसमें लवण सेतु या सरंध्र पात्र द्वारा प्रयुक्त नहीं होता है।  
उदहारण : ZnCL₂⇋Zn + CL₂ 

English Translation :

➤Alkali metals: All alkali metals are located at the lowest position in the electrochemical category because their values ​​are higher than the electrode potential, as a result of which they have a higher tendency to make electron donating cations and as a result it is stronger.

➤Electrical decomposition: The process in which an electrolyte is decomposed by an electric current flowing through its dissolved state or in a lit solution. This is called electrical decomposition.



Example: Electrical decomposition of NaCl solution is done as follows:
2NaCL ⇋ 2Na + + 2CL-

➤Definition of conductivity: The ability of an electrolyte to dissolve or conduct an electric current in its dissolved state is called its electrolyte conductivity.
Conductivity C of the solutions of electrolytes is the inverse of their resistance R.
C = 1 / R



➤Electrolytic cell: The cell in which electrical energy is converted into chemical energy is called electrolytic cell. It consists of anode plus pole and cathode minus pole. It provides battery or electrical energy from an external source or from other sources. In this, both are immersed in the solutions of the same electrolyte in the same vessel and the salt is not used by the bridge or porous vessel.
Example: ZnCL₂⇋Zn + CL₂

Friday, July 17, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤हिमांक का अवनमन : किसी द्रव का हिमांक वह ताप है जिस पर द्रव का वाष्प उसकी ठोस अवस्था वाष्प दाब के बराबर होता है। किसी विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ घोलने पर उसका वाष्प दाब कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप हिमांक कम हो जाता है। विलायक तथा विलयन का अंतर हिमांक का अवनमन कहलाता है। 

यदि शुध्द विलायक का हिमांक Tf और विलयन का हिमांक T है तब 
हिमांक का अवनमन = (To - T) = Tf 


➤हिमांक अवनमन की गणना : किसी अवाष्पशील और विद्युत अनअपघट्ये पदार्थ के अणु भार m और उसके विलयन के हिमांक अवनमन Tf  में निन्मलिखित सम्बंद होता है। 
m = 1000Kfw /Tf W 

जहाँ 
m = विलेय का अणुभार 
Kf = विलायक का मोलल अवनमन स्थिरांक 
w = विलेय का भार 
W = विलायक का भार 
Tf = हिमांक में अवनमन 



 ➤वाष्प दाब  का अवनमन : यदि कोई अवाष्पशील पदार्थ किसी विलायक में घोला जाये तो विलायक के वाष्प दाब में कमी आ जाती है जिसे वाष्प दाब का अवनमन कहते है। वाष्प दाब का अवनमन विलयन में उपस्थित विलेय पदार्थ की मात्रा के समानुपाती होता है। 

➤वाष्प दाब के आपेक्षिक अवनमन की समीकरण : यदि किसी विलायक का वाष्प दाब P है और इसमें विलेय पदार्थ घोलने पर विलयन का वाष्प दाब Ps है तो विलायक के वाष्प दाब में अवनमन = P - Ps 

किसी विलयन के वाष्पदाब के अवनमन (P - Ps) तथा विलायक के वाष्पदाब P के अनुपात को वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन कहते है। 
 वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन = P - Ps /P 



English Translation : 
➤Depression of freezing point: The freezing point of a liquid is the temperature at which the vapor of the liquid is equal to its solid state vapor pressure. On dissolving any non-volatile material in a solvent, its vapor pressure is reduced resulting in a freezing point. The difference between solvent and solution is called the freezing of freezing point.

If the freezing point of the pure solvent is Tf and the freezing point of the solution is T
Decrease of freezing point = (To - T) = Tf

➤Calculation of Freezing Depression: The molecular weight m of a non-volatile and electronegative material and the freezing point of its solution is the following reference in Tf.
m = 1000Kfw / Tf W

Where
m = solubility of solute
Kf = molle decay constant of solvent
w = solute weight
W = Solvent Weight
Tf = depression in freezing point


➤ Depression of vapor pressure: If an evaporative substance is dissolved in a solvent, the vapor pressure of the solvent decreases, which is called the vapor pressure degradation. The depression pressure is proportional to the amount of solute present in the solution.

➤Equation of relative depression of vapor pressure: If the vapor pressure of a solvent is P and the vapor pressure of the solution when dissolved in it is Ps, then the depression in the vapor pressure of the solvent = P - Ps

The ratio of the vapor pressure of a solution to the pressure (P - Ps) and the vapor pressure P of the solvent is called relative pressure of vapor pressure.
 Relative depression of vapor pressure = P - Ps / P








Monday, July 13, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤परासरण तथा परासरण दाब : विलायक का अणुओ का अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली में होकर शुध्द विलायक से विलयन की ओर या तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर प्रवाह परासरण कहलाता है। 

किसी विलयन तथा विलायक को अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली द्वारा पृथक करके उसके परासरण को रोकने लिए विलयन पर कम से कम जितना बाह्य दाब लगाना पड़ता है , उसे विलयन का परासरण दाब कहते है। 

Osmosis - Wikipedia


➤परासरण दाब के नियम : तनु विलयनो के गैसों के समान के आधार पर वान्ट हॉफ ने दाब के निन्मलिखित नियम दिए। 
1. बॉयल वान्ट हॉफ नियम : स्थिर ताप पर ,किसी विलयन का परासरण दाब P , विलयन की सान्द्रता C के समानुपाती होता है। 
P୪C 
P = k C 
जहाँ k स्थिरांक है। 
यदि वियन की सान्द्रता C हो तब 
PV = k 

Jacobus Henricus van 't Hoff - Wikipedia

2. चार्ल्स वान्ट हॉफ नियम : स्थिर सान्द्रता पर किसी विलयन का परासरण दाब P , परम ताप T के समानुपाती होता है। 
P୪T 
P = kT 

3. आवोगाद्रो वान्ट हॉफ नियम : समान ताप तथा समान परासरण दाब पर विलयनों के समान आयतन में विलेय अणुओ की संख्या समान होती है। 
P४n 

4. विलयन  की सामान्य समीकरण : बॉयल वान्ट हॉफ नियम तथा चार्ल्स वान्ट हॉफ नियमो को मिलाने पर प्राप्त समीकरण को विलयन की सामान्य समीकरण कहते है। 
P४ 1/V 
P४T 
दोनों समीकरणों को मिलाने पर 
P४T/V 
PV४T 
PV = ST 
जहाँ S एक स्थिरांक है जिसे विलयन का स्थिरांक कहते है। 
यदि विलयन में विलेय के अणुओ की संख्या एक से अधिक है तो विलयन की सामान्य समीकरण 
PV = nST 
P = n/VST 
P = CST 
जहाँ C = w/m 
Pm /w = ST 
m = wST/P 

➤Osmosis and osmosis pressure: The flow of solvent from molecules into the semipermeable membrane from a pure solvent to a solution or from a dilute solution to a concentrated solution is called osmosis.

Osmosis - Wikipedia

To prevent its osmosis by separating a solution and solvent by a semipermeable membrane, at least the external pressure applied to the solution is called the osmotic pressure of the solution.

➤Rules of osmotic pressure: Vant Hoff gave the following rules of pressure on the basis of similar to the gases of dilute solvents.
 1. Boyle Vant Hoff's Law: At constant temperature, the osmolality pressure P of a solution is proportional to the concentration C of the solution.
P୪C
P = kC
Where k is a constant.
If the concentration of the virus is C
PV = k

Jacobus Henricus van 't Hoff - Wikipedia


2. Charles Vant Hoff's Law: The osmolality pressure P of a solution at constant concentration is proportional to the absolute temperature T.
P୪T
P = kT

3. Avogadro Vant Hoff Rule: At the same temperature and the same osmosis pressure, the number of solute molecules in the same volume is equal to the solutions.
P४n

4. General equation of solution : The solution obtained by combining the Boyle Vant Hoff rule and the Charles Vant Hoff rule is called the general equation of the solution.
P४1/V
P४T
Combining both equations
P४T/V
PV४T
PV = ST
Where S is a constant called the constant of the solution.
If the number of solute molecules in the solution is more than one, the general equation of the solution
PV = nST
P = n /VST
P = CST
Where C = w/m
Pm /w = ST
m = wST/P


Sunday, July 12, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤राउल्ट का नियम : राउल्ट ने अवाष्पशील पदार्थो के द्रव विलायकों में विलयनों के वाष्प दाब अवनमन पर अनेक प्रयोग किये और उनसे प्राप्त परिणामो का आधार पर एक नियम की रचना की जिसे राउल्ट का नियम कहते है। 

💧राउल्ट की नियम अनुसार ,
वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है। 

यदि समान ताप पर शुध्द विलायक और विलयन के दाब क्रमशः P⁰ और Ps है , और विलयन में विलेय और विलायक के मोलो की संख्याये क्रमशः n और N है तो ,

💧राउल्ट के नियम अनुसार
P⁰ - Ps /P⁰ = n/n+N 



➤राउल्ट के नियम की सीमाएं : 

1. राउल्ट का नियम केवल अवाष्पशील विद्युत अनअपघट्यो के तनु विलयनों पर लागू होता है। 

2. यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थो के विलयनों पर लागू होता है जो विलायक से रासायनिक अभिक्रिया नहीं करते है। 

3. विद्युत अपघट्ये विलयन में वियोजित होते है , उनके विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है। विद्युत अपघट्ये के वियोजन से विलयन कणो की संख्या बढ़ जाती है। 

4. जो पदार्थ विलयन में संगुनित से विलयन में उसके कणो की संख्या घट जाती है जिस कारण वाष्प दाब अवनमन का मान अपसामान्य रूप से कम हो जाता है। 



➤अर्ध्दपारगम्ये झिल्लीयाँ : वे झिल्लियाँ जो केवल विलायक के अणुओ को अपने में से होकर आर - पार आने - जाने देती है , परन्तु विलेय के अणुओ को नहीं , अर्ध्दपारगम्ये झिल्लियाँ कहलाती है। 

जन्तु झिल्लियाँ ,जैसे बकरे का आशय ,अण्डे की झिल्ली , कोशा झिल्लियाँ अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली है। परन्तु ये झिल्लियाँ पूर्णरूप से अर्ध्दपारगम्ये नहीं होती है। ट्रॉब (1864) ने बताया कि कॉपर फेरोसायनाइड Cu₂[Fe(CN)₆] की झिल्ली पूर्णतयः अर्ध्दपारगम्ये होती है। 

Saturday, July 11, 2020

Education for 12th class chemistry Science[NCERT]

➤विलयन : दो या दो अधिक पदार्थो के समांगी मिश्रण को विलयन कहते है। जैसे जल में थोड़ी चीनी डालकर उसे हिलाने पर चीनी जल में अद्रश्य हो जाती है,अर्तार्थ घुल जाती है। यही घुलने की प्रक्रिया  विलयन कहलाती है। 

➤विलयन की मोललता ; 1 किलोग्राम विलायक में विलीन विलेय  के मोलो की संख्या  विलयन की मोललता कहलाती है। इसकी इकाई ग्राम प्रति किलोग्राम है। मोललता ताप पर निर्भर नहीं करती है ,क्योकि द्रव्यमान ताप पर निर्भर नहीं करता है। 
विलयन की मोललता = विलेय  का भार / विलेय  का अणुभार / विलयन का का भार 



➤विलयन की मोलरता : विलयन के एक लीटर में विलीन विलेय के मोलो की संख्या विलयन की मोलरता कहलाती है। मोलरता ताप पर निर्भर करती है , क्योकि विलयन का आयतन ताप पर निर्भर करता है। 
 विलयन की मोलरता = विलेय का भार / विलेय का अणुभार / विलयन का आयतन 

➤कथनांक का उन्नयन ; विलयन और विलायक के कथनांको का अंतर कथनांक का उन्नयन कहलाता है। यदि शुद्ध विलायक का कथनांक और विलयन का कथनांक T है तब कथनांक का उन्नयन 
T = T₂ -T₁
➤मोलल उन्नयन स्थिरांक ; 1 किलोग्राम विलायक में किसी अवाष्पशील विद्युत अनपघट्ये पदार्थ का 1 मोल घोलने पर कथनांक का उन्नयन विलायक का मोलल उन्नयन स्थिरांक K कहलाता है। इसका मात्रक कैल्विन किग्रा मोल होता है। 
K = Tm 



➤वान्ट हॉफ गुणांक : समअणुक सांद्रण वाले विद्युत अपघट्ये तथा विद्युत अनअपघट्ये के विलयनों की तुलना करने पर सिद्ध होता है कि विद्युत अपघट्ये पदार्थो के विलयनों के अणुसंख्ये गुणधर्म विद्युत अनअपघट्ये पदार्थों के विलयनों की अपेक्षा अधिक होते है अतः वांट हॉफ ने इन दोनों प्रकार के विलयनों के आण्विक गुणों में निन्म सम्बन्द स्थापित किया।
 i = असामान्य अणुसंख्ये गुणधर्म / सामान्य अणुसंख्ये गुणधर्म 
यहाँ i को वान्ट हॉफ गुणाकं कहते है अतः 
i = वियोजन के पश्चात कणो की संख्या / वियोजन से पूर्व कणो की संख्या 

Friday, July 10, 2020

Education for 12th class Chenistry Science[NCERT]

➤क्रिस्टलो में दोष ; लगभग सभी क्रिस्टलो में किसी न किसी प्रकार का कुछ दोष अवश्य होता है। क्रिस्टलो में मुख्यः निम्न्लिखित दो प्रकार की बिंदु त्रुटियाँ पाई जाती है। 

(1.) शॉटकी दोष : क्रिस्टल में जब परमाणु या विपरीत आवेशित आयन उनके सामान्य जालक स्थलों से लुप्त हो जाते है तो जालक में रिक्तताएँ उत्त्पन्न हो जाती है जो शॉटकी दोष कहलाती है। विद्युत उदासीनता को बनाये रखने के लिए लुप्त होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर होती है। 

Schottky defect - Wikipedia

➤उदहारण : NaCL ,KCL ,CsCL और AgBr शॉटकी दोष दिखाते है। सोडियम क्लोराइड (NaCL) के क्रिस्टल में कुछ Na+ आयन और समान संख्या में CL- आयन अपने जालक स्थलों से लुप्त हो जाते है जिससे जालक में रिक्तताएँ उत्त्पन्न हो जाती है। 

(2.) फ्रेंकेल दोष : आयनिक ठोस के क्रिस्टल में जब कोई आयन अपने सामान्य जालक स्थल से जालक बिन्दुओ के मध्य किसी अन्तराकाशी स्थल या रिक्ति में विस्थापित हो जाता है तो जालक अन्तराकाशी बन जाता है ,और यह दोष फ्रेंकेल दोष कहलाता है। यह ठोस के घनत्व को परिवर्तित नहीं करता है। 

Frenkel Defect Meaning Along With Suitable Examples

➤उदहारण : ZnS ,AgCL ,AgBr और AgI में। सिल्वर हैलाइडो (AgCL , AgBr ) के क्रिस्टल जालक में कुछ Ag+ आयन अपने जालक स्थलों से जालक बिन्दुओ के मध्य अंतराकाशी स्थलों या रिक्तियों में विस्थापित हो जाते है। 

➤अन्तराकाशी दोष : जब कुछ अवयवी कण अन्तराकाशी स्थल पर पाए जाते है तब उत्त्पन्न दोष अन्तराकाशी दोष कहलाता है। यह दोष पदार्थ के घनत्व को बढ़ाता है। अन्तराकाशी दोष अनआयनिक ठोसों में पाया जाता है। आयनिक ठोसों में सदैव विद्युत उदासीनता बनी रहनी चाहिये। इससे इनमे यह दोष दिखाई नहीं देता है। 

➤F- केन्द्र : जब क्षारकीय हैलाइड जैसे सोडियम क्लोराइड (NaCL) को क्षार धातु की वाष्प के वातावरण में गर्म किया जाता है तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते है। CL- आयन क्रिस्टल की सतह में विसरित हो जाते है और Na परमाणुओं के साथ जुड़कर NaCL देते है। इलेक्ट्रान विसरित होकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अधयासित करते है। अयुग्मित इलेक्टॉनों द्वारा भरी जाने वाली इन ऋणायनिक रिक्तिकाओं को F- केन्द्र कहते है। ये NaCL को पीला रंग प्रदान करते है।  यह रंग इन इलेक्टॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पड़ने वाले प्रकाश से ऊर्जा उत्तेजित करता है। 

Thursday, July 9, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤ठोस पदार्थो के  प्रकार : किसी ठोस में उसके घटक कणो के मध्य विद्धमान बँधो की प्रकति के अनुसार ठोस चार प्रकार के होते  है। 
(1.) आयनिक ठोस : सोडियम क्लोराइड व अन्य लवण ,धातु ऑक्साइड ,धातु सल्फाइड आदि आयनिक ठोस कहलाते है। क्योकि इन ठोसों के क्रिस्टल जालक धनायनों और ऋणायनों से बने होते है। आयनिक क्रिस्टल संरचना के कारण आयनिक ठोसों के गलनांक और कथनांक ऊंचे होते है। 

 Ionic solids
(2.) आण्विक ठोस : आयोडीन ,गंधक ,सफ़ेद फॉस्फोरस आदि आण्विक ठोस कहलाते है। क्योकि इन ठोसों के क्रिस्टल जालक सरल अणुओ से बने होते है। आण्विक ठोसों के गलनांक और कथनांक नीचे होते है। 

Definition of Molecular Solids | Chegg.com


(3.) परमाण्वीय ठोस या जाल ठोस : डायमण्ड ( हीरा ),ग्रेफाइट ,सिलिका आदि परमाण्वीय ठोस या जाल ठोस कहलाते है। इन ठोस पदार्थो के क्रिस्टल जालक परमाणुओं से बने होते है। इन ठोसों के  गलनांक और कथनांक बहुत ऊंचे होते है। जालक ठोस कठोर और द्रढ़ होते है।  

Properties of solids

(4.) धात्विक ठोस : जो ठोस धातुओं के गुण को प्रर्दशित करता है। धात्विक ठोस कहलाता है। धात्विक ठोसों में अर्थार्त धातुओं में जो बल धातु परमाणुओ को एक दूसरे से बांधे रखते है धात्विक बन्ध कहलाते है। धात्विक ठोसों का क्रिस्टल जालक धात्विक धनायनों से बना होता है जिसमे धातु परमाणुओं के संयोजी कोशो से निकले इलेक्ट्रॉन स्वतंत्रता के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर गति करते है। 



12.7: Types of Crystalline Solids- Molecular, Ionic, and Atomic ...


English Translation :

Types of solid materials: According to the nature of the existing bond between its constituent particles in a solid, there are four types of solids.

(1.) Ionic solids: Sodium chloride and other salts, metal oxides, metal sulfides etc. are called ionic solids. Because the crystals of these solids are made of cations and anions. Due to the ionic crystal structure, the melting points and statements of ionic solids are high.

Ionic solids
(2.) Molecular solids: Iodine, sulfur, white phosphorus etc. are called molecular solids. Because the crystal lattice of these solids are made of simple molecules. The melting points and statements of molecular solids are below.
Definition of Molecular Solids | Chegg.com

(3.) Atomic solid or mesh solid: Diamond (graph), graphite, silica etc. are called atomic solids or mesh solids. The crystals of these solid materials are made of lattice atoms. The melting points and statements of these solids are very high. Lattice solids are hard and hard.
Properties of solids

(4.) Metallic solids: which reflect the properties of solid metals. The metal is called solid. In metallic solids, that is, in metals, the forces that bind metal atoms to each other are called metallic bonds. The crystal lattice of metallic solids is composed of metallic cations in which electrons emanating from the valence shells of metal atoms move continuously from one place to another.

12.7: Types of Crystalline Solids- Molecular, Ionic, and Atomic ...

Wednesday, July 8, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤ठोस अवस्था : ठोस में उसके घटक कण निश्चित बिन्दुओ पर स्थित होते है तथा अपने - अपने निश्चित बिन्दुओ के इधर - उधर कंम्पन करते रहते है , परन्तु अपने स्थान को स्थाई रूप से नहीं छोड़ते है। ठोस कहलाते है। 

➤ठोसों का वर्गीकरण : ठोसों को दो भागो में विभाजित किया गया है। (1) क्रिस्टलीय ठोस (2) अक्रिस्टलीय ठोस 

(1.) क्रिस्टलीय ठोस : अधिकांश ठोस तत्व व यौगिक क्रिस्टलीय ठोस है। कार्बन तथा अन्य ठोस अधातुए , कॉपर ,सिल्वर व अन्य ठोस धातुएँ , सोडियम क्लोराइड , कैल्सियम फ्लुओराइड , बर्फ आदि लवण  क्रिस्टलीय ठोस है। 
 
(2.) अक्रिस्टलीय ठोस : कुछ पदार्थ जैसे काँच शीतलन पर क्रिस्टलीत नहीं होते है, परन्तु स्थाई रूप से अतिशीतित अवस्था में रहते है। ऐसे ठोस पदार्थ अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है। काँच ,रबर ,मोम , बटर , प्लास्टिक , स्टार्च आदि कई पदार्थ अक्रिस्टलीय ठोस है।


➤बहुरूपता : किसी पदार्थ के दो या अधिक क्रिस्टलीय रूप हो सकते है। किसी पदार्थ के दो या अधिक क्रिस्टलीय रूपों को बहुरूपी रूप या बहुरूपक कहते है। तथा किसी पदार्थ का एक से अधिक क्रिस्टलीय रूपों में विद्धमान होना बहुरूपता कहलाता है।  

➤उदहारण : जिंक ब्लैंड और वुर्ट्जाइट जिंक सल्फाइड के दो बहुरूपक है।  कैल्साइट और कैल्सियम कार्बोनेट के दो क्रिस्टलीय रूप है। 


➤समाकृतिकता : दो भिन्न यौगिको की क्रिस्टलीय आकृति समान हो सकती है। उन भिन्न यौगिको को जिनकी क्रिस्टलीय आकृति समान होती है समाकृतिक कहते है।  तथा भिन्न यौगिको का समान क्रिस्टलीय रूप में विद्धमान होना समाकृतिका कहलाता है। 

➤उदहारण : फेरस सल्फेट और जिंक सल्फेट समाकृतिक है , तथा क्यूप्रस सल्फाइड और सिल्वर सल्फाइड समाकृतिक है। 

Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत...