➤मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड या मानक इलेक्ट्रोड विभव :
इस मानक इलेक्ट्रोड में प्लैटिनम का इलेक्ट्रोड होता है जिसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ी होती है। इसके निर्माण हेतु प्लैटिनम धातु की एक पतली प्लेट को लेकर क्लोरो प्लैटिनिक अम्ल में रखते है और फिर उसमे विधुत धारा प्रवाहित करते है जिसके फलस्वरूप उसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ जाती है। यह प्लेट चित्र के अनुसार एक कांच की नली से घिरी होती है। जिसमे एक वायुमंडल दाब पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते है तथा कांच की नली के नीचे अवशेष हाइड्रोजन गैस निकालने हेतु एक अन्य मार्ग होता है। इस इलेक्ट्रोड को एक मोलर सांद्रण वाले हाइड्रोजन आयन विलयन में डूबा दिया जाता है। इस विलयन में एक वायुमंडल दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस की कुछ मात्रा प्लैटिनम की सतह पर अधिशोषित हो जाती है। तथा शेष अम्ल के मोलर विलयन में विलीन होती है। इस कारण प्लैटिनम इलेक्ट्रोड पर अदिशोषित हाइड्रोजन गैस तथा विलयन में विधमान हाइड्रोजन आयनो के मध्ये साम्ये स्थापित हो जाता है।

H₂ ⇋ 2H+ + 2e-
इसको निन्मलिखित प्रकार से भी व्यक्त करते है।
H₂, Pt/H+ या Pt/H₂/H+
इस इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव शून्य (0.ooo वोल्ट) हो जाता है।
➤उपयोग :
इसकी सहायता से किसी इलेक्ट्रोड का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने हेतु उस इलेक्ट्रोड के साथ जोड़कर एक वैद्युत रासायनिक सेल का निर्माण किया जाता है और उसके बाद वैद्युत वाहक बल ज्ञात कर लेते है जो उस इलेक्ट्रोड का हाइड्रोजन के सापेक्ष मानक इलेक्ट्रोड विभव होता है।
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