➤ब्राउनी गति : परिक्षेपित अवस्था के रूप में कोलाइडी पदार्थो का माध्यम से बना कोलॉइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है। कोलॉइडी विलयन का अतिसूख्मदर्शी द्वारा अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी विलयन में कोलॉइडी कण टेड़े मेढे तरीके से सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गतिशील रहते है। कोलॉइडी कणो का इस प्रकार गति करना ब्राउनी गति कहलाता है।
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💧वियर के अनुसार यह गति कोलॉइडी कणो के परिक्षेपण माध्यम के कणो से टकराने के कारण होती है। यह गति कणो का आकार बढ़ने घटती। है और परिक्षेपण माध्यम की बढ़ने पर ब्राउनी गति घटतीं है। कोलॉइडी कणो का आकार कम तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता कम हो तो ब्राउनी गति बढ़ती है।
➤कोलॉइडी विलयन : आधुनिक विचारो के अनुसार कोलॉइडी अवस्था पदार्थ का कणो का आकार पर निर्भर करती है। वे पदार्थ जिनके छोटे छोटे कण 10- से 10- सेमी आकार में परिक्षिप्त अवस्था के रूप में परिक्षेपण माध्यम जिसे विलायक कहते है या परिक्षिप्त रहते है कोलॉइडी पदार्थ कहते है।
➤पेप्टीकरण : वह प्रक्रम जिसमे किसी कोलॉइडी पदार्थ के एक ताजे बने अवक्षेप में उचित विधुत अपघट्ये के विलयन की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर उसे कोलॉइडी अवस्था में परिवर्तित करते है पेप्टिकरण कहते है।
➤ठोस धातु : ठोस उत्प्रेरक का महीन चूर्ण अधिक सक्षम होता है। इसका कारण यह है कि उत्प्रेरक के जितने अधिक टुकड़े होंगे उतनी अधिक मुक्त संयोजकताएँ अधिक बढ़ेंगी। पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होगा। जिनके कारण कार्यक्षमता अधिक होगी।
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