Sunday, August 30, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत वेग कहते है। 

औसत वेग = अभिकारक की सान्द्रता में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय 

➤अभिक्रिया का वेग : वह दर जिसमे समय के साथ अभिकारक पदार्थ का सान्द्रण परिवर्तन होता है , अभिक्रिया का वेग कहलाता है।

➤अभिक्रिया के वेग पर ताप का प्रभाव : ताप वृद्धि पर अभिक्रिया में अभिकारकों के सक्रिय अणुओ की संख्या में वृद्धि हो जाती है। उनके मध्ये प्रभावी टक्करों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इकाई समय में अभिकारक अणुओ की प्रभावी टक्करों की संख्या को अभिक्रिया का वेग कहते है। अतः ताप वृद्धि पर अभिक्रिया के वेग में वृद्धि होती है। ताप बढ़ाने पर वेग स्थिरांक बढ़ जाता है। 

➤सक्रियण ऊर्जा : अभिकारक अणुओ के संघट से प्राप्त ऊर्जा की वह अतिरिक्त मात्रा जो अभिक्रिया को संम्पन कराने में पर्याप्त होती है। तथा जिसके फलस्वरूप उत्पाद बनते है। सक्रियण ऊर्जा कहलाती है। 

सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अभिकारक अणुओ की औसत ऊर्जा 

➤ताप का प्रभाव : अभिक्रिया का तापमान बढ़ने के साथ अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है क्योकि तापमान वृद्धि पर अभिकारक के अणुओ की इकाई समय में संघतो की संख्या में वृद्धि हो जताई है। 

Sunday, August 23, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT]

 ➤ब्राउनी गति : परिक्षेपित अवस्था के रूप में कोलाइडी पदार्थो का माध्यम से बना कोलॉइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है। कोलॉइडी विलयन का अतिसूख्मदर्शी द्वारा अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी विलयन में कोलॉइडी कण टेड़े मेढे तरीके से सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गतिशील रहते है। कोलॉइडी कणो का इस प्रकार गति करना ब्राउनी गति कहलाता है। 

💧वियर के अनुसार यह गति कोलॉइडी कणो के परिक्षेपण माध्यम के कणो से टकराने के कारण होती है। यह गति कणो का आकार बढ़ने  घटती। है और परिक्षेपण माध्यम की  बढ़ने पर ब्राउनी गति घटतीं है। कोलॉइडी कणो का आकार कम तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता कम हो तो ब्राउनी गति बढ़ती है। 

➤कोलॉइडी विलयन : आधुनिक विचारो के अनुसार कोलॉइडी अवस्था पदार्थ का कणो का आकार पर निर्भर करती है। वे पदार्थ जिनके छोटे छोटे कण 10- से 10- सेमी आकार में परिक्षिप्त अवस्था के रूप में परिक्षेपण माध्यम जिसे विलायक कहते है या परिक्षिप्त रहते है कोलॉइडी पदार्थ कहते है। 

➤पेप्टीकरण : वह प्रक्रम जिसमे किसी कोलॉइडी पदार्थ के एक ताजे बने अवक्षेप में उचित विधुत अपघट्ये के विलयन की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर उसे कोलॉइडी अवस्था में परिवर्तित करते है पेप्टिकरण कहते है। 

➤ठोस धातु : ठोस उत्प्रेरक का महीन चूर्ण अधिक सक्षम होता है। इसका कारण यह है कि उत्प्रेरक के जितने अधिक टुकड़े होंगे उतनी अधिक मुक्त संयोजकताएँ अधिक बढ़ेंगी। पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होगा। जिनके कारण कार्यक्षमता अधिक होगी। 

Saturday, August 22, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

 ➤मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड या मानक इलेक्ट्रोड विभव : 

इस मानक इलेक्ट्रोड में प्लैटिनम का इलेक्ट्रोड होता है जिसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ी होती है। इसके निर्माण हेतु प्लैटिनम धातु की एक पतली प्लेट को लेकर क्लोरो प्लैटिनिक अम्ल में रखते है और फिर उसमे विधुत धारा प्रवाहित करते है जिसके फलस्वरूप उसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ जाती है। यह प्लेट चित्र के अनुसार एक कांच की नली से घिरी होती है। जिसमे एक वायुमंडल दाब पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते है तथा कांच की नली के नीचे अवशेष हाइड्रोजन गैस निकालने हेतु एक अन्य मार्ग होता है। इस इलेक्ट्रोड को एक मोलर सांद्रण वाले हाइड्रोजन आयन विलयन में डूबा दिया जाता है। इस विलयन में एक वायुमंडल दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस की कुछ मात्रा प्लैटिनम की सतह पर अधिशोषित हो जाती है। तथा शेष अम्ल के मोलर विलयन में विलीन होती है। इस कारण प्लैटिनम इलेक्ट्रोड पर अदिशोषित हाइड्रोजन गैस तथा विलयन में विधमान हाइड्रोजन आयनो के मध्ये साम्ये स्थापित हो जाता है।

Draw a labelled diagram of 'Standard Hydrogen Electrode'.


H₂ ⇋ 2H+ + 2e- 

इसको निन्मलिखित प्रकार से भी व्यक्त करते है। 

H₂, Pt/H+ या Pt/H₂/H+

इस इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव शून्य (0.ooo वोल्ट) हो जाता है। 

➤उपयोग : 

इसकी सहायता से किसी इलेक्ट्रोड का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने हेतु उस इलेक्ट्रोड के साथ जोड़कर एक वैद्युत रासायनिक सेल का निर्माण किया जाता है और उसके बाद वैद्युत वाहक बल ज्ञात कर लेते है जो उस इलेक्ट्रोड का हाइड्रोजन के सापेक्ष मानक इलेक्ट्रोड विभव होता है। 

Tuesday, August 4, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

➤संक्षारण : धातुओं का वायुमण्डल के सम्पर्क में धीरे धीरे अन्य यौगिको जैसे ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोनेट, सलफेट आदि में परिवर्तन, धातुओं का संक्षारण कहलाता है। 

जंग लगने से विश्व में कुल उत्पादन का 15% लोहा प्रतिवर्ष नष्ट हो जाता है। अतः जंग लगना भी संक्षारण का उदहारण है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। 

➤संक्षारण की क्रियाविधि : लोहे पर जंग लगना एक विद्युत रासायनिक क्रिया है। जंग लगने से लोहे की सतह पर एक विद्युत रासायनिक पदार्थ का निर्माण होता है। Co₂ व O₂ जल की बूंदे लोहे की सतह पर एक परत बनाती है। Co₂ घुली होने के कारण जल की चालकता बढ़ जाती है और यह विद्युत अपघट्ये विलयन का कार्य करती है। 
Co₂ + H₂O ⇋ 2H+ +Co₃-


लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण होता है। 
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है। 

💧एनोड पर:
Fe → Fe+ + 2e-

💧कैथोड पर:
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O  

💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण :
2Fe+ + 2H₂O + O₂ → Fe₂O₃ + 4H+


यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) का लाल भूरा पाउडर बनाता है। 
लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण हो जाता है। 
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे के जंग लगने पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है। 

💧 एनोड पर :
Fe → Fe+ + 2e-

💧कैथोड पर :
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O₂

💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण 
2Fe+ + 2H₂O + → Fe₂O₃ + 4H+
यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) लाल भूरा पाउडर बनाता है। 

Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत...