Sunday, August 30, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत वेग कहते है। 

औसत वेग = अभिकारक की सान्द्रता में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय 

➤अभिक्रिया का वेग : वह दर जिसमे समय के साथ अभिकारक पदार्थ का सान्द्रण परिवर्तन होता है , अभिक्रिया का वेग कहलाता है।

➤अभिक्रिया के वेग पर ताप का प्रभाव : ताप वृद्धि पर अभिक्रिया में अभिकारकों के सक्रिय अणुओ की संख्या में वृद्धि हो जाती है। उनके मध्ये प्रभावी टक्करों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इकाई समय में अभिकारक अणुओ की प्रभावी टक्करों की संख्या को अभिक्रिया का वेग कहते है। अतः ताप वृद्धि पर अभिक्रिया के वेग में वृद्धि होती है। ताप बढ़ाने पर वेग स्थिरांक बढ़ जाता है। 

➤सक्रियण ऊर्जा : अभिकारक अणुओ के संघट से प्राप्त ऊर्जा की वह अतिरिक्त मात्रा जो अभिक्रिया को संम्पन कराने में पर्याप्त होती है। तथा जिसके फलस्वरूप उत्पाद बनते है। सक्रियण ऊर्जा कहलाती है। 

सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अभिकारक अणुओ की औसत ऊर्जा 

➤ताप का प्रभाव : अभिक्रिया का तापमान बढ़ने के साथ अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है क्योकि तापमान वृद्धि पर अभिकारक के अणुओ की इकाई समय में संघतो की संख्या में वृद्धि हो जताई है। 

Sunday, August 23, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT]

 ➤ब्राउनी गति : परिक्षेपित अवस्था के रूप में कोलाइडी पदार्थो का माध्यम से बना कोलॉइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है। कोलॉइडी विलयन का अतिसूख्मदर्शी द्वारा अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी विलयन में कोलॉइडी कण टेड़े मेढे तरीके से सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गतिशील रहते है। कोलॉइडी कणो का इस प्रकार गति करना ब्राउनी गति कहलाता है। 

💧वियर के अनुसार यह गति कोलॉइडी कणो के परिक्षेपण माध्यम के कणो से टकराने के कारण होती है। यह गति कणो का आकार बढ़ने  घटती। है और परिक्षेपण माध्यम की  बढ़ने पर ब्राउनी गति घटतीं है। कोलॉइडी कणो का आकार कम तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता कम हो तो ब्राउनी गति बढ़ती है। 

➤कोलॉइडी विलयन : आधुनिक विचारो के अनुसार कोलॉइडी अवस्था पदार्थ का कणो का आकार पर निर्भर करती है। वे पदार्थ जिनके छोटे छोटे कण 10- से 10- सेमी आकार में परिक्षिप्त अवस्था के रूप में परिक्षेपण माध्यम जिसे विलायक कहते है या परिक्षिप्त रहते है कोलॉइडी पदार्थ कहते है। 

➤पेप्टीकरण : वह प्रक्रम जिसमे किसी कोलॉइडी पदार्थ के एक ताजे बने अवक्षेप में उचित विधुत अपघट्ये के विलयन की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर उसे कोलॉइडी अवस्था में परिवर्तित करते है पेप्टिकरण कहते है। 

➤ठोस धातु : ठोस उत्प्रेरक का महीन चूर्ण अधिक सक्षम होता है। इसका कारण यह है कि उत्प्रेरक के जितने अधिक टुकड़े होंगे उतनी अधिक मुक्त संयोजकताएँ अधिक बढ़ेंगी। पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होगा। जिनके कारण कार्यक्षमता अधिक होगी। 

Saturday, August 22, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

 ➤मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड या मानक इलेक्ट्रोड विभव : 

इस मानक इलेक्ट्रोड में प्लैटिनम का इलेक्ट्रोड होता है जिसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ी होती है। इसके निर्माण हेतु प्लैटिनम धातु की एक पतली प्लेट को लेकर क्लोरो प्लैटिनिक अम्ल में रखते है और फिर उसमे विधुत धारा प्रवाहित करते है जिसके फलस्वरूप उसके ऊपर प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ जाती है। यह प्लेट चित्र के अनुसार एक कांच की नली से घिरी होती है। जिसमे एक वायुमंडल दाब पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते है तथा कांच की नली के नीचे अवशेष हाइड्रोजन गैस निकालने हेतु एक अन्य मार्ग होता है। इस इलेक्ट्रोड को एक मोलर सांद्रण वाले हाइड्रोजन आयन विलयन में डूबा दिया जाता है। इस विलयन में एक वायुमंडल दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस की कुछ मात्रा प्लैटिनम की सतह पर अधिशोषित हो जाती है। तथा शेष अम्ल के मोलर विलयन में विलीन होती है। इस कारण प्लैटिनम इलेक्ट्रोड पर अदिशोषित हाइड्रोजन गैस तथा विलयन में विधमान हाइड्रोजन आयनो के मध्ये साम्ये स्थापित हो जाता है।

Draw a labelled diagram of 'Standard Hydrogen Electrode'.


H₂ ⇋ 2H+ + 2e- 

इसको निन्मलिखित प्रकार से भी व्यक्त करते है। 

H₂, Pt/H+ या Pt/H₂/H+

इस इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव शून्य (0.ooo वोल्ट) हो जाता है। 

➤उपयोग : 

इसकी सहायता से किसी इलेक्ट्रोड का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने हेतु उस इलेक्ट्रोड के साथ जोड़कर एक वैद्युत रासायनिक सेल का निर्माण किया जाता है और उसके बाद वैद्युत वाहक बल ज्ञात कर लेते है जो उस इलेक्ट्रोड का हाइड्रोजन के सापेक्ष मानक इलेक्ट्रोड विभव होता है। 

Tuesday, August 4, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

➤संक्षारण : धातुओं का वायुमण्डल के सम्पर्क में धीरे धीरे अन्य यौगिको जैसे ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोनेट, सलफेट आदि में परिवर्तन, धातुओं का संक्षारण कहलाता है। 

जंग लगने से विश्व में कुल उत्पादन का 15% लोहा प्रतिवर्ष नष्ट हो जाता है। अतः जंग लगना भी संक्षारण का उदहारण है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। 

➤संक्षारण की क्रियाविधि : लोहे पर जंग लगना एक विद्युत रासायनिक क्रिया है। जंग लगने से लोहे की सतह पर एक विद्युत रासायनिक पदार्थ का निर्माण होता है। Co₂ व O₂ जल की बूंदे लोहे की सतह पर एक परत बनाती है। Co₂ घुली होने के कारण जल की चालकता बढ़ जाती है और यह विद्युत अपघट्ये विलयन का कार्य करती है। 
Co₂ + H₂O ⇋ 2H+ +Co₃-


लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण होता है। 
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है। 

💧एनोड पर:
Fe → Fe+ + 2e-

💧कैथोड पर:
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O  

💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण :
2Fe+ + 2H₂O + O₂ → Fe₂O₃ + 4H+


यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) का लाल भूरा पाउडर बनाता है। 
लोहे के परमाणु एनोड का कार्य करते है और अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया में भाग लेते है। इस प्रकार लोहे की सतह पर एक छोटे विद्युत रासायनिक सेल का निर्माण हो जाता है। 
अम्लीय माध्यम होने पर लोहे के जंग लगने पर निन्म रासायनिक अभिक्रियाएँ संपन्न होती है। 

💧 एनोड पर :
Fe → Fe+ + 2e-

💧कैथोड पर :
O₂ + 4H+ + 4e- → 2H₂O₂

💧वायुमण्डलीय ऑक्सीकरण 
2Fe+ + 2H₂O + → Fe₂O₃ + 4H+
यह Fe₂O₃ जलयोजित होकर जंग (Fe₂O₃H₂O) लाल भूरा पाउडर बनाता है। 

Friday, July 31, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

➤वैद्युत रासायनिक श्रेणी के अनुप्रयोग : इस श्रेणी के मुख्य अनुप्रयोग निन्मलिखित है। 

1. धातुओं का धन विद्युति लक्षण : इस श्रेणी में कोई धातु अपने नीचे स्थित धातु की अपेक्षा धनायन बनाने की अधिक प्रवृति रखती है। अतः इसमें ऊपर से नीचे की और चलने पर धातुओं की धनायन बनाने की प्रवृति क्रमश: घटती है , जिस धातु का मानक अपचयन विभव E जितना अधिक ऋणात्मक होता है। वह धातु उतनी ही अधिक धन विद्युति होती है। धन विद्युति लक्षण के आधार पर धातुओं को तीन वर्गों में बांटा जाता है -


(a.) प्रबल धन विद्युति धातुएँ : क्षार धातुएँ (Li , Na ,K) तथा क्षारीय मृदा धातुएँ (Mg ,Ca) प्रबल धन विद्युति धातुएँ है। इनके मानक अपचयन विभव 2.0 वोल्ट या इससे कम है। क्षार धातुएँ ,मृदा धातुएँ से अधिक धन विद्युति होती है। 

(b.) साधारण धन विद्युति धातुएँ : ऐलुमिनियम (Al), ज़िंक (Zn), आयरन (Fe), निकिल (Ni) तथा अन्य धातुएँ जिनका स्थान वैद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन और मेंगनीशियम के मध्य होता है, साधारण धन विद्युति धातुएँ कहलाती है। 


(c.) क्षीण धन विद्युति धातुएँ : कॉपर (Cu), मर्करी (Hg), सिल्वर (Ag) तथा अन्य धातुएँ जो श्रेणी में हाइड्रोजन के ऊपर स्थित होती है ,क्षीण धन विद्युति धातुएँ कहलाती है। इनके मानक अपचयन विभव धनात्मक होते है। 

➤2. धातुओं की रासायनिक क्रियाशीलता की तुलना : धातुओं की क्रियाशीलता इलेक्ट्रान त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृति पर निर्भर करती है। धातुओं के मानक इलेक्ट्रोड विभव जलीय विलयन में धातुओं की इलेक्ट्रान त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृति क्रियाशीलता को परिमाणत्मक रूप व्यक्त करते है। 

English Translation :

➤Applications of electrical chemical category: The main applications of this category are as follows.

1. Money electrical characteristics of metals: A metal in this category has a greater tendency to make cation than the metal below it. Therefore, the tendency of metal cation to progress from top to bottom decreases gradually, the more negative the metal the lower the standard reduction potential E. The higher the metal, the richer the power. The metals are divided into three classes based on the characteristic of wealth.


(a.) Strong Wealth Metals: Alkali metals (Li, Na, K) and Alkaline Soil Metals (Mg, Ca) are strong Wealth Metals. Their standard reduction potential is 2.0 volts or less. Alkali metals have more power than soil metals.

(b.) Ordinary Wealth Metals: Aluminum (Al), Zinc (Zn), Iron (Fe), Nickil (Ni) and other metals in the electrochemical category between hydrogen and manganese are called simple metals. is.


(c.) Alkaline Wealth Electrolytic metals: Copper (Cu), Mercury (Hg), Silver (Ag) and other metals which lie above hydrogen in the range are called dilute amines. Their standard reduction potentials are positive.

➤2. Comparison of chemical reactivity of metals: The reactivity of metals depends on the tendency to give up electrons and make cation. Standard electrode potentials of metals quantitatively express the tendency of cation to form by releasing electrons of metals in aqueous solutions.




Thursday, July 30, 2020

Top most question Chemistry Science 12th class[NCERT2020]

➤वैद्युत रासायनिक श्रेणी : धात्विक व अधात्विक तत्वों को उनके मानक इलेक्ट्रोड विभव के क्रम में रखने से एक श्रेणी प्राप्त होती है जिसे वैद्युत रासायनिक श्रेणी कहते है। यदि तत्वों के मानक इलेक्ट्रोड विभव के बढ़ते क्रम में लिखे जाये तो श्रेणी में अधिक धनात्मक अपचयन विभव के तत्वों को निचे की और स्थान प्राप्त होगा। सारणी में दी गयी वैद्युत रासायनिक श्रेणी में तत्वों को मानक अपचयन विभव के आधार पर व्यवस्थित किया गया है जिसमे सबसे ऊपर तत्व फ्लुओरीन स्थित है जिसका मानक अपचयन विभव + 2.87 वोल्ट है और सबसे निचे तत्व लिथियम है जिसका मानक अपचयन विभव -3.05 वोल्ट है। 


➤वैद्युत रासायनिक श्रेणी के महत्वपूर्ण लक्षण : 
(1.) इस श्रेणी में इलेक्ट्रोड की अर्द्ध अभिक्रिया अपचयन अभिक्रिया में लिखी गई है जिसमे बाई और ऑक्सीकारक तथा दाई और अपचयन स्थित है। 

इसके आधार इलेक्ट्रोड विभव अपचयन विभव कहलाते है। यदि अभिक्रियाएं ऑक्सीकारक के रूप में लिखी जाये तो इससे प्राप्त इलेक्ट्रोड विभव ऑक्सीकरण विभव कहलाती है। 



(2.) इलेक्ट्रोडो के अपचयन विभव का ऋणायन मान यह प्रदर्शित करता है की वे इलेक्ट्रोड हाइड्रोजन के सापेक्ष सरलतापूर्वक इलेक्ट्रोन त्याग सकते है। इस कारण ऋणात्मक अपचयन विभव वाले तत्व प्रबल अपचायक या दुर्बल ऑक्सीकारक होते है।  

➤उदहारण : Li  ,Zn ,Cu धातु से प्रबल अपचायक है। 
(3.) किसी इलेक्ट्रोड का मानक अपचयन विभव का ऋणात्मक मान दूसरे इलेक्ट्रोड का सापेक्ष अधिक होने पर उस इलेक्ट्रोड पर होती है तथा वह एनोड या ऋणात्मक इलेक्ट्रोड का कार्य करता है। 


English Translation :

➤Electrical chemical grade: By placing the metallic and non-metallic elements in the order of their standard electrode potentials, one category is obtained, which is called electrical chemical grade. If the standard electrode potentials of the elements are written in ascending order, then the elements of more positive reduction potential in the series will get further down. Elements in the electrochemical series given in the table are arranged based on the standard reduction potential, with the top element containing fluorine having a standard reduction potential of + 2.87 volts and the lowest element being lithium with a standard reduction potential of -3.05 volts.


➤Important Characteristics of Electrical Chemical Category:
(1.) In this category, the semi-reaction of the electrode is written in the reduction reaction, in which the left and oxidizer and the right and the reduction are located.

Its base electrode potential is called reduction potential. If the reactions are written as oxidizer then the electrode potential obtained from it is called oxidation potential.


(2.) The anion value of the reduction potential of electrodes shows that they can easily discard electrons relative to electrode hydrogen. For this reason, elements with negative reduction potential are strong oxidants or weak oxidizing agents.

➤Example: Li, Zn, Cu are strong reductants of metal.
(3.) The negative reduction of standard reduction potential of an electrode is relative to the other electrode when it is on that electrode and acts as an anode or negative electrode.


Sunday, July 26, 2020

Education for 12th Class chemistry Science[NCERT]

➤द्वितीयक सेल या संचायक सेल : वे उत्क्रमणीय गैल्वेनिक सेल जिनमे उच्च ऊर्जायुक्त पदार्थ जल्दी अभिक्रिया करके विद्युत धारा उत्पन्न करते है और अक्रिये हो जाते जाते है। इन पदार्थो को बाह्य स्रोतों के द्वारा सक्रिय बना लिया जाता है और सेल को जल्द ही आवेशित किया जा सकता है। इनको द्वितीयक सेल कहते है। इन द्वितीयक सेलो को संचायक सेल भी कहते है। 

इसमें एनोड Pb का बना होता है। Pb -Sb मिश्रधातु की जाली में महीन चूर्ण किया हुआ स्पंजी लेड भरा रहता है। कैथोड के रूप में Pb -Sb की जाली में Pb₂का महीन चूर्ण भरा होता है। इन कैथोड और एनोड के अनेक प्लेटो को एकान्तर क्रम में व्यवस्थित किया होता है तथा इनके मध्य प्लास्टिक या फाइबर ग्लास शीट लगी होती है। ये सभी प्लेट अम्ल में डूबी रहती है ,जो सख्त रबड़ या प्लास्टिक पात्र से भरा होता है। यहाँ H₂SO₄ विद्युत अपघट्ये का कार्य करता है। बैटरी के निरावेशित होते समय विद्युत धारा देते समय निन्म अभिक्रियाये संम्पन्न होती है। 

Battery Types - Primary Cell and Secondary Cells with Diagrams.
➤एनोड पर :
Pb + SO₄ → PbSO₄ + 2e-
➤कैथोड पर :
PbO₂ + SO₄ + 4H+ + 2e- → PbSO₄ + 2H₂O 
➤सम्पूर्ण सेल अभिक्रिया :
Pb + PbO₂ + 2H₂SO₄ → 2PbSO₄ + H₂O 
इस सेल का उपयोग मोटरगाड़ियों में होता है। इस प्रकार के सेल से 2 वोल्ट विद्युत प्राप्त होती है , 3 या 6 सेलो को श्रेणीक्रम में जोड़कर 6 या 12 वोल्ट विद्युत प्राप्त की जा सकती है। 


English Translation : 

Secondary cell or accumulator cell: Reversible galvanic cells in which high energetic materials react quickly to generate electric current and become active. These substances are activated by external sources and the cell can soon be charged. These are called secondary cells. These secondary cells are also called accumulator cells.
The anode is made of Pb. The finely spongy lead is filled in a mesh of Pb -Sb alloy. The lattice of Pb -Sb in the form of cathode is filled with fine powder of Pb₂. Many plates of these cathodes and anodes are arranged in alternating order and there is a plastic or fiber glass sheet between them. All these plates are immersed in acid, which is filled with a hard rubber or plastic vessel. Here H₂SO₄ acts as electrolyte. When the battery is discharged, a negative reaction occurs while delivering an electric current.

Battery Types - Primary Cell and Secondary Cells with Diagrams.

At the anode:
Pb + SO₄ → PbSO₄ + 2e-
At the cathode:
PbO₂ + SO₄ + 4H + + 2e- → PbSO₄ + 2H₂O
Whole Cell Reaction:
Pb + PbO₂ + 2H₂SO₄ → 2PbSO₄ + H₂O
This cell is used in trains. This type of cell provides 2 volts of power, 6 or 12 volts of power can be obtained by adding 3 or 6 cells in series.

Thursday, July 23, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤प्राथमिक सेल : वे वैद्युत रासायनिक या गैल्वेनिक सेल जिनमे रेडॉक्स अभिक्रिया केवल बार होती है। ये एक समय के पश्चात कार्य करना बंद देते है। और इन्हे प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक सेल कहलाते है। ये सेल अनुत्क्रमणीय होते है और कुछ समय बाद मर जाते है। 
इस प्रकार के सेलो के उदहारण शुष्क सेल या मर्करी सेल है। 



➤शुष्क सेल : इसमें ज़िंक का एक बेलनाकार बाहरी पात्र होता है जो एनोड का कार्य करता है। इस पात्र के अंदर विद्युतरोधी कागज का अस्तर होता है। इसमें एक पीतल की टोपियुक्त ग्रेफाइट की छड़ को चित्र के अनुसार रखते है जो कैथोड के रूप में प्रयुक्त होती है। 

Understanding the Working Principle and Uses of a Dry Cell Battery ...


इस  ग्रेफाइट की छड़ के चारो और Mno₂ तथा कार्बन या चारकोल का नीला पेस्ट भर देते है। एनोड तथा कैथोड के बीच रिक्त स्थान को NH₄CL और ZnCL₂ की लेइ से भर देते है। प्रयोग के दौरान Zn का उपभाग होता है तथा उस पर छिद्र बन जाते है। इसी कारण सेल के चारो और स्टील की सील लगा दी जाती है। सेल में विभिन्न इलेक्ट्रोडो पर अभिक्रियाएँ होती है।

 एनोड पर अभिक्रिया -
Zn → Zn²+ + 2e-
कैथोड पर अभिक्रिया -
2MnO₂ + 2NH₄ + 2e- → Mn₂O₃ + 2NH₃






➤Primary Cells: Electrical chemical or galvanic cells in which redox reaction occurs only once. They stop working after a time. And they cannot be used. Primary cells are called. These cells are non-degradable and die after some time.
Examples of this type of cello are dry cell or mercury cell.




➤Dry cell: It consists of a cylindrical outer vessel of zinc that acts as anode. This container has an insulating paper lining inside. In this, a brass toped graphite rod is placed according to the picture which is used as a cathode.


Understanding the Working Principle and Uses of a Dry Cell Battery ...

They fill the char and Mno₂ of this graphite rod and a blue paste of carbon or charcoal. The spaces between the anode and the cathode are filled with a layer of NH₄CL and ZnCL₂. During the experiment, there is a subdivision of Zn and holes are formed on it. For this reason, all four and steel seals are attached to the cell. Reactions take place at various electrodes in the cell.

 Reaction at anode -
Zn → Zn² + + 2e-
Reaction at the cathode -
2MnO₂ + 2NH₄ + 2e- → Mn₂O₃ + 2NH₃




Tuesday, July 21, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤कोलराउश का नियम : दुर्बल विद्युत अपघट्यो की मोलर चालकता की गणना करने के लिए कोलराउश ने एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कोलराउश का नियम कहते है। 

इसके अनुसार, अनन्त तनुता पर किसी विद्युत अपघट्ये की मोलर चालकता उसके सभी धनायनों और ऋणायनों आयनिक मोलर चालकता का योग होती है। 

➤कोलराउश के नियम का अनुप्रयोग : कोलराउश के नियम का महत्वपूर्ण अनुप्रयोग दुर्बल विद्युत अपघट्यो की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता की गणना करना है। 


➤उदहारण : ऐसीटिक अम्ल की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता के मान की गणना ,हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) ,सोडियम ऐसीटेट (CH₃COONa  तथा सोडियम क्लोराइड (NaCL) जैसे प्रबल विद्युत अपघट्यो की मोलर चालकताओ के मान हल करके की जाती है। 

➤रेडॉक्स विभव : जब सेल में ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया होती है तो धातु और विलयन के आयनो के मध्य स्थापित साम्ये में विभवान्तर को रेडॉक्स विभव कहते है। 
उदहारण : Ox + ne- → Red 



➤विशिष्ट चालकता : ऐसे दो इलेक्ट्रोडो जिनके अनुप्रस्थ परिछेद का क्षेत्रफल एक वर्ग सेमी हो तथा जो एक दूसरे से एक सेमी की दुरी पर स्थित हो विशिष्ट चालकता कहलाती है। इसका मात्रक ओम या म्हो होता है। 
k = Cl/A 

➤मोलर चालकता : एक सेमी दुरी और एक वर्ग सेमी अनुप्रस्थ परिछेद के क्षेत्रफल वाले दो समान्तर इलेक्ट्रोडो के बीच रखे विलयन में यदि एक ग्राम मोल विद्युत अपघट्ये घुला हो तो उस अवस्था में उसकी चालकता मोलर चालकता कहलाती है। 
ym = k1000 /M 
इसका मात्रक ओम या म्हो होता है। 



English Translation :
➤Colerausch's law: To calculate the molar conductivity of weak electrical decompositions, Colerau,s formulated a law known as Colerau's law.

Accordingly, the molar conductivity of an electrolyte at infinite dilution is the sum of all its cations and anionic ionic molar conductivity.

➤Application of Colerausch's law: An important application of Colerausch's law is to calculate the molar conductivity at infinite dilution of weak electrical decompositions.


➤Example: The value of molar conductivity at infinite dilution of acetic acid is calculated by solving the molar conductivity values ​​of strong electrolytes such as hydrochloric acid (HCL), sodium acetate (CH₃COONa and sodium chloride (NaCL)).

➤Redox potential: When an oxidation and reduction reaction occurs in a cell, the potential difference between the ion and the ion of the metal and the solution is called the redox potential.
Example: Ox + ne- → Red


➤Specific Conductivity: Two electrodes having an area of ​​transverse perimeter one square cm and located at a distance of one cm from each other are called specific conductivity. Its unit is om or mho.
k = Cl / A

➤Molar Conductivity: If a solution of one gram moles of electrolyte is dissolved in a solution placed between two parallel electrodes with an area of ​​one cm apart and one square cm transverse intersection, its conductivity in that state is called molar conductivity.
ym = k1000 / M
Its unit is om or mho.







Sunday, July 19, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤क्षार धातुएं : सभी क्षार धातुएं विद्युत रासायनिक श्रेणी में निन्मतं स्थान पर स्थित है क्योकिं इनके मान इलेक्ट्रोड विभव के मान उच्च होते है , फलस्वरूप इनकी इलेक्ट्रान दान करने धनायन बनाने की प्रवृति भी अधिक होती है जिसके फलस्वरूप ये प्रबल अपचायक होती है। 

➤विद्युत अपघटन : वह प्रक्रिया जिसमे विद्युत अपघट्ये पदार्थ अपनी गलित अवस्था या जलिये विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर अपघटित हो जाता है। विद्युत अपघटन कहलाती है।  


उदहारण : जलिये NaCL विलयन का विद्युत अपघटन निन्म प्रकार किया जाता है -
2NaCL ⇋ 2Na+ + 2CL-

➤चालकत्व की परिभाषा : किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन या उसकी गलित अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित करने की क्षमता उसका वैद्युत अपघटनी चालकत्व कहलाता है  
वैद्युत अपघट्यो के विलयनों का चालकत्व C उनके प्रतिरोध R का व्युत्क्रम होता है। 
C = 1/R 


➤विद्युत अपघटनी सेल : वह सेल जिसमे विद्युत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती हो , विद्युत अपघटनी सेल कहलाती है। इसमें एनोड धन ध्रुव व कैथोड ऋण ध्रुव होता है। इसमें बाह्य स्रोत से बैटरी या विद्युत ऊर्जा या अन्य स्रोतों से ऊर्जा प्रदान की जाती है। इसमें एक ही पात्र में एक ही वैद्युत अपघट्ये के विलयनों में दोनों डूबे रहते है तथा इसमें लवण सेतु या सरंध्र पात्र द्वारा प्रयुक्त नहीं होता है।  
उदहारण : ZnCL₂⇋Zn + CL₂ 

English Translation :

➤Alkali metals: All alkali metals are located at the lowest position in the electrochemical category because their values ​​are higher than the electrode potential, as a result of which they have a higher tendency to make electron donating cations and as a result it is stronger.

➤Electrical decomposition: The process in which an electrolyte is decomposed by an electric current flowing through its dissolved state or in a lit solution. This is called electrical decomposition.



Example: Electrical decomposition of NaCl solution is done as follows:
2NaCL ⇋ 2Na + + 2CL-

➤Definition of conductivity: The ability of an electrolyte to dissolve or conduct an electric current in its dissolved state is called its electrolyte conductivity.
Conductivity C of the solutions of electrolytes is the inverse of their resistance R.
C = 1 / R



➤Electrolytic cell: The cell in which electrical energy is converted into chemical energy is called electrolytic cell. It consists of anode plus pole and cathode minus pole. It provides battery or electrical energy from an external source or from other sources. In this, both are immersed in the solutions of the same electrolyte in the same vessel and the salt is not used by the bridge or porous vessel.
Example: ZnCL₂⇋Zn + CL₂

Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत...