Tuesday, July 14, 2020

Education for 12th class Physics Science[NCERT]

➤वैद्युत क्षेत्र या वैद्युत बल रेखाये : वैद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक वक्र है जिस पर एक स्वतंत्र एकांक धन आवेश चलता है। वैद्युत बल रेखा के किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर स्थित धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा बताती है। 

electric field | Definition, Units, & Facts | Britannica

➤वैद्युत बल रेखाओं के गुण : 
1. ये रेखाएं धन आवेश से चलकर ऋण आवेश पर समाप्त होती है। 
2. बल रेखा के किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर धन आवेश पर लगने बल की दिशा को प्रदर्शित करती है। 
3. कोई भी दो बल रेखाएं परस्पर काट नहीं सकती , क्योकि उस दशा में कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खींची जा सकती है। 
4. ये रेखाएं खींची हुई लचकदार डोरी की तरह लम्बाई में सिकुड़ने का प्रयत्न करती है। इसी कारण विपरीत आवेशो में आकर्षण होता है।  
5. ये रेखाएं अपनी लम्बाई की लंबवत दिशा में एक दूसरे से दूर हटने का प्रयत्न करती है। इसी कारण समान आवेशों में प्रतिकर्षण होता है। 

➤वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता : वैद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर रखे आवेश पर लगने वाले बल तथा आवेश के मान की निष्पत्ति को उस बिंदु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते है। इसे E से प्रदर्शित करते है। 

यदि वैद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर रखे आवेश qo पर लगने वाला बल F हो तो उस बिंदु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता 
E=F/qo 
इसका मात्रक न्यूटन/कूलाम होता है। 



➤संधारित्र : संधारित्र किसी भी प्रकार के दो ऐसे चालकों का युग्म है जो कि एक दूसरे के समीप हो। जिन पर बराबर व विपरीत आवेश हो तथा जिसकी एक प्लेट पृथ्वी से जुड़ी हो। 
➤उपयोग : 1. आवेश का संचय करने में। 
2. ऊर्जा का संचय करने में। 
3. वैद्युत उपकरणों में। 


English Translation :
➤Electrical field or electrical force: An imaginary curve drawn in the electric field on which an independent unit positive charge moves. The tangent drawn at any point of the electrical force line gives the direction of the force exerted on the positive charge at that point.

electric field | Definition, Units, & Facts | Britannica


➤Properties of electrical force lines:
1. These lines run on positive charge and end on negative charge.
2. The tangent drawn at any point of the force line represents the direction of the force exerted on the positive charge at that point.
3. No two force lines can intersect, because in that case two tangent lines can be drawn at the intersection point.
4. These lines try to shrink in length like a drawn string. This is why there is attraction in opposite charges.
5. These lines try to move away from each other in the vertical direction of their length. This is why repulsion occurs in the same charge.

➤Power field intensity: The force exerted on a charge placed at a point in the electric field and the elimination of the value of the charge is called the intensity of the electric field at that point. Let us display this with E.
If the force exerted on a charge qo at a point in the electrical field is F, then the intensity of the electric field at that point
E = F/qo
Its unit is Newton / Koolam.



➤Capacitor: Capacitor is a pair of two conductors of any type that are adjacent to each other. Those with equal and opposite charge and one plate connected to the earth.

➤Uses: 1.In the accumulation of charge.
2. In storing energy.
3. In electrical equipment.

Monday, July 13, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤परासरण तथा परासरण दाब : विलायक का अणुओ का अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली में होकर शुध्द विलायक से विलयन की ओर या तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर प्रवाह परासरण कहलाता है। 

किसी विलयन तथा विलायक को अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली द्वारा पृथक करके उसके परासरण को रोकने लिए विलयन पर कम से कम जितना बाह्य दाब लगाना पड़ता है , उसे विलयन का परासरण दाब कहते है। 

Osmosis - Wikipedia


➤परासरण दाब के नियम : तनु विलयनो के गैसों के समान के आधार पर वान्ट हॉफ ने दाब के निन्मलिखित नियम दिए। 
1. बॉयल वान्ट हॉफ नियम : स्थिर ताप पर ,किसी विलयन का परासरण दाब P , विलयन की सान्द्रता C के समानुपाती होता है। 
P୪C 
P = k C 
जहाँ k स्थिरांक है। 
यदि वियन की सान्द्रता C हो तब 
PV = k 

Jacobus Henricus van 't Hoff - Wikipedia

2. चार्ल्स वान्ट हॉफ नियम : स्थिर सान्द्रता पर किसी विलयन का परासरण दाब P , परम ताप T के समानुपाती होता है। 
P୪T 
P = kT 

3. आवोगाद्रो वान्ट हॉफ नियम : समान ताप तथा समान परासरण दाब पर विलयनों के समान आयतन में विलेय अणुओ की संख्या समान होती है। 
P४n 

4. विलयन  की सामान्य समीकरण : बॉयल वान्ट हॉफ नियम तथा चार्ल्स वान्ट हॉफ नियमो को मिलाने पर प्राप्त समीकरण को विलयन की सामान्य समीकरण कहते है। 
P४ 1/V 
P४T 
दोनों समीकरणों को मिलाने पर 
P४T/V 
PV४T 
PV = ST 
जहाँ S एक स्थिरांक है जिसे विलयन का स्थिरांक कहते है। 
यदि विलयन में विलेय के अणुओ की संख्या एक से अधिक है तो विलयन की सामान्य समीकरण 
PV = nST 
P = n/VST 
P = CST 
जहाँ C = w/m 
Pm /w = ST 
m = wST/P 

➤Osmosis and osmosis pressure: The flow of solvent from molecules into the semipermeable membrane from a pure solvent to a solution or from a dilute solution to a concentrated solution is called osmosis.

Osmosis - Wikipedia

To prevent its osmosis by separating a solution and solvent by a semipermeable membrane, at least the external pressure applied to the solution is called the osmotic pressure of the solution.

➤Rules of osmotic pressure: Vant Hoff gave the following rules of pressure on the basis of similar to the gases of dilute solvents.
 1. Boyle Vant Hoff's Law: At constant temperature, the osmolality pressure P of a solution is proportional to the concentration C of the solution.
P୪C
P = kC
Where k is a constant.
If the concentration of the virus is C
PV = k

Jacobus Henricus van 't Hoff - Wikipedia


2. Charles Vant Hoff's Law: The osmolality pressure P of a solution at constant concentration is proportional to the absolute temperature T.
P୪T
P = kT

3. Avogadro Vant Hoff Rule: At the same temperature and the same osmosis pressure, the number of solute molecules in the same volume is equal to the solutions.
P४n

4. General equation of solution : The solution obtained by combining the Boyle Vant Hoff rule and the Charles Vant Hoff rule is called the general equation of the solution.
P४1/V
P४T
Combining both equations
P४T/V
PV४T
PV = ST
Where S is a constant called the constant of the solution.
If the number of solute molecules in the solution is more than one, the general equation of the solution
PV = nST
P = n /VST
P = CST
Where C = w/m
Pm /w = ST
m = wST/P


Sunday, July 12, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤राउल्ट का नियम : राउल्ट ने अवाष्पशील पदार्थो के द्रव विलायकों में विलयनों के वाष्प दाब अवनमन पर अनेक प्रयोग किये और उनसे प्राप्त परिणामो का आधार पर एक नियम की रचना की जिसे राउल्ट का नियम कहते है। 

💧राउल्ट की नियम अनुसार ,
वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है। 

यदि समान ताप पर शुध्द विलायक और विलयन के दाब क्रमशः P⁰ और Ps है , और विलयन में विलेय और विलायक के मोलो की संख्याये क्रमशः n और N है तो ,

💧राउल्ट के नियम अनुसार
P⁰ - Ps /P⁰ = n/n+N 



➤राउल्ट के नियम की सीमाएं : 

1. राउल्ट का नियम केवल अवाष्पशील विद्युत अनअपघट्यो के तनु विलयनों पर लागू होता है। 

2. यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थो के विलयनों पर लागू होता है जो विलायक से रासायनिक अभिक्रिया नहीं करते है। 

3. विद्युत अपघट्ये विलयन में वियोजित होते है , उनके विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है। विद्युत अपघट्ये के वियोजन से विलयन कणो की संख्या बढ़ जाती है। 

4. जो पदार्थ विलयन में संगुनित से विलयन में उसके कणो की संख्या घट जाती है जिस कारण वाष्प दाब अवनमन का मान अपसामान्य रूप से कम हो जाता है। 



➤अर्ध्दपारगम्ये झिल्लीयाँ : वे झिल्लियाँ जो केवल विलायक के अणुओ को अपने में से होकर आर - पार आने - जाने देती है , परन्तु विलेय के अणुओ को नहीं , अर्ध्दपारगम्ये झिल्लियाँ कहलाती है। 

जन्तु झिल्लियाँ ,जैसे बकरे का आशय ,अण्डे की झिल्ली , कोशा झिल्लियाँ अर्ध्दपारगम्ये झिल्ली है। परन्तु ये झिल्लियाँ पूर्णरूप से अर्ध्दपारगम्ये नहीं होती है। ट्रॉब (1864) ने बताया कि कॉपर फेरोसायनाइड Cu₂[Fe(CN)₆] की झिल्ली पूर्णतयः अर्ध्दपारगम्ये होती है। 

Saturday, July 11, 2020

Education for 12th class chemistry Science[NCERT]

➤विलयन : दो या दो अधिक पदार्थो के समांगी मिश्रण को विलयन कहते है। जैसे जल में थोड़ी चीनी डालकर उसे हिलाने पर चीनी जल में अद्रश्य हो जाती है,अर्तार्थ घुल जाती है। यही घुलने की प्रक्रिया  विलयन कहलाती है। 

➤विलयन की मोललता ; 1 किलोग्राम विलायक में विलीन विलेय  के मोलो की संख्या  विलयन की मोललता कहलाती है। इसकी इकाई ग्राम प्रति किलोग्राम है। मोललता ताप पर निर्भर नहीं करती है ,क्योकि द्रव्यमान ताप पर निर्भर नहीं करता है। 
विलयन की मोललता = विलेय  का भार / विलेय  का अणुभार / विलयन का का भार 



➤विलयन की मोलरता : विलयन के एक लीटर में विलीन विलेय के मोलो की संख्या विलयन की मोलरता कहलाती है। मोलरता ताप पर निर्भर करती है , क्योकि विलयन का आयतन ताप पर निर्भर करता है। 
 विलयन की मोलरता = विलेय का भार / विलेय का अणुभार / विलयन का आयतन 

➤कथनांक का उन्नयन ; विलयन और विलायक के कथनांको का अंतर कथनांक का उन्नयन कहलाता है। यदि शुद्ध विलायक का कथनांक और विलयन का कथनांक T है तब कथनांक का उन्नयन 
T = T₂ -T₁
➤मोलल उन्नयन स्थिरांक ; 1 किलोग्राम विलायक में किसी अवाष्पशील विद्युत अनपघट्ये पदार्थ का 1 मोल घोलने पर कथनांक का उन्नयन विलायक का मोलल उन्नयन स्थिरांक K कहलाता है। इसका मात्रक कैल्विन किग्रा मोल होता है। 
K = Tm 



➤वान्ट हॉफ गुणांक : समअणुक सांद्रण वाले विद्युत अपघट्ये तथा विद्युत अनअपघट्ये के विलयनों की तुलना करने पर सिद्ध होता है कि विद्युत अपघट्ये पदार्थो के विलयनों के अणुसंख्ये गुणधर्म विद्युत अनअपघट्ये पदार्थों के विलयनों की अपेक्षा अधिक होते है अतः वांट हॉफ ने इन दोनों प्रकार के विलयनों के आण्विक गुणों में निन्म सम्बन्द स्थापित किया।
 i = असामान्य अणुसंख्ये गुणधर्म / सामान्य अणुसंख्ये गुणधर्म 
यहाँ i को वान्ट हॉफ गुणाकं कहते है अतः 
i = वियोजन के पश्चात कणो की संख्या / वियोजन से पूर्व कणो की संख्या 

Friday, July 10, 2020

Education for 12th class Chenistry Science[NCERT]

➤क्रिस्टलो में दोष ; लगभग सभी क्रिस्टलो में किसी न किसी प्रकार का कुछ दोष अवश्य होता है। क्रिस्टलो में मुख्यः निम्न्लिखित दो प्रकार की बिंदु त्रुटियाँ पाई जाती है। 

(1.) शॉटकी दोष : क्रिस्टल में जब परमाणु या विपरीत आवेशित आयन उनके सामान्य जालक स्थलों से लुप्त हो जाते है तो जालक में रिक्तताएँ उत्त्पन्न हो जाती है जो शॉटकी दोष कहलाती है। विद्युत उदासीनता को बनाये रखने के लिए लुप्त होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर होती है। 

Schottky defect - Wikipedia

➤उदहारण : NaCL ,KCL ,CsCL और AgBr शॉटकी दोष दिखाते है। सोडियम क्लोराइड (NaCL) के क्रिस्टल में कुछ Na+ आयन और समान संख्या में CL- आयन अपने जालक स्थलों से लुप्त हो जाते है जिससे जालक में रिक्तताएँ उत्त्पन्न हो जाती है। 

(2.) फ्रेंकेल दोष : आयनिक ठोस के क्रिस्टल में जब कोई आयन अपने सामान्य जालक स्थल से जालक बिन्दुओ के मध्य किसी अन्तराकाशी स्थल या रिक्ति में विस्थापित हो जाता है तो जालक अन्तराकाशी बन जाता है ,और यह दोष फ्रेंकेल दोष कहलाता है। यह ठोस के घनत्व को परिवर्तित नहीं करता है। 

Frenkel Defect Meaning Along With Suitable Examples

➤उदहारण : ZnS ,AgCL ,AgBr और AgI में। सिल्वर हैलाइडो (AgCL , AgBr ) के क्रिस्टल जालक में कुछ Ag+ आयन अपने जालक स्थलों से जालक बिन्दुओ के मध्य अंतराकाशी स्थलों या रिक्तियों में विस्थापित हो जाते है। 

➤अन्तराकाशी दोष : जब कुछ अवयवी कण अन्तराकाशी स्थल पर पाए जाते है तब उत्त्पन्न दोष अन्तराकाशी दोष कहलाता है। यह दोष पदार्थ के घनत्व को बढ़ाता है। अन्तराकाशी दोष अनआयनिक ठोसों में पाया जाता है। आयनिक ठोसों में सदैव विद्युत उदासीनता बनी रहनी चाहिये। इससे इनमे यह दोष दिखाई नहीं देता है। 

➤F- केन्द्र : जब क्षारकीय हैलाइड जैसे सोडियम क्लोराइड (NaCL) को क्षार धातु की वाष्प के वातावरण में गर्म किया जाता है तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते है। CL- आयन क्रिस्टल की सतह में विसरित हो जाते है और Na परमाणुओं के साथ जुड़कर NaCL देते है। इलेक्ट्रान विसरित होकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अधयासित करते है। अयुग्मित इलेक्टॉनों द्वारा भरी जाने वाली इन ऋणायनिक रिक्तिकाओं को F- केन्द्र कहते है। ये NaCL को पीला रंग प्रदान करते है।  यह रंग इन इलेक्टॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पड़ने वाले प्रकाश से ऊर्जा उत्तेजित करता है। 

Thursday, July 9, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤ठोस पदार्थो के  प्रकार : किसी ठोस में उसके घटक कणो के मध्य विद्धमान बँधो की प्रकति के अनुसार ठोस चार प्रकार के होते  है। 
(1.) आयनिक ठोस : सोडियम क्लोराइड व अन्य लवण ,धातु ऑक्साइड ,धातु सल्फाइड आदि आयनिक ठोस कहलाते है। क्योकि इन ठोसों के क्रिस्टल जालक धनायनों और ऋणायनों से बने होते है। आयनिक क्रिस्टल संरचना के कारण आयनिक ठोसों के गलनांक और कथनांक ऊंचे होते है। 

 Ionic solids
(2.) आण्विक ठोस : आयोडीन ,गंधक ,सफ़ेद फॉस्फोरस आदि आण्विक ठोस कहलाते है। क्योकि इन ठोसों के क्रिस्टल जालक सरल अणुओ से बने होते है। आण्विक ठोसों के गलनांक और कथनांक नीचे होते है। 

Definition of Molecular Solids | Chegg.com


(3.) परमाण्वीय ठोस या जाल ठोस : डायमण्ड ( हीरा ),ग्रेफाइट ,सिलिका आदि परमाण्वीय ठोस या जाल ठोस कहलाते है। इन ठोस पदार्थो के क्रिस्टल जालक परमाणुओं से बने होते है। इन ठोसों के  गलनांक और कथनांक बहुत ऊंचे होते है। जालक ठोस कठोर और द्रढ़ होते है।  

Properties of solids

(4.) धात्विक ठोस : जो ठोस धातुओं के गुण को प्रर्दशित करता है। धात्विक ठोस कहलाता है। धात्विक ठोसों में अर्थार्त धातुओं में जो बल धातु परमाणुओ को एक दूसरे से बांधे रखते है धात्विक बन्ध कहलाते है। धात्विक ठोसों का क्रिस्टल जालक धात्विक धनायनों से बना होता है जिसमे धातु परमाणुओं के संयोजी कोशो से निकले इलेक्ट्रॉन स्वतंत्रता के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर गति करते है। 



12.7: Types of Crystalline Solids- Molecular, Ionic, and Atomic ...


English Translation :

Types of solid materials: According to the nature of the existing bond between its constituent particles in a solid, there are four types of solids.

(1.) Ionic solids: Sodium chloride and other salts, metal oxides, metal sulfides etc. are called ionic solids. Because the crystals of these solids are made of cations and anions. Due to the ionic crystal structure, the melting points and statements of ionic solids are high.

Ionic solids
(2.) Molecular solids: Iodine, sulfur, white phosphorus etc. are called molecular solids. Because the crystal lattice of these solids are made of simple molecules. The melting points and statements of molecular solids are below.
Definition of Molecular Solids | Chegg.com

(3.) Atomic solid or mesh solid: Diamond (graph), graphite, silica etc. are called atomic solids or mesh solids. The crystals of these solid materials are made of lattice atoms. The melting points and statements of these solids are very high. Lattice solids are hard and hard.
Properties of solids

(4.) Metallic solids: which reflect the properties of solid metals. The metal is called solid. In metallic solids, that is, in metals, the forces that bind metal atoms to each other are called metallic bonds. The crystal lattice of metallic solids is composed of metallic cations in which electrons emanating from the valence shells of metal atoms move continuously from one place to another.

12.7: Types of Crystalline Solids- Molecular, Ionic, and Atomic ...

Wednesday, July 8, 2020

Education for 12th class Chemistry Science[NCERT]

➤ठोस अवस्था : ठोस में उसके घटक कण निश्चित बिन्दुओ पर स्थित होते है तथा अपने - अपने निश्चित बिन्दुओ के इधर - उधर कंम्पन करते रहते है , परन्तु अपने स्थान को स्थाई रूप से नहीं छोड़ते है। ठोस कहलाते है। 

➤ठोसों का वर्गीकरण : ठोसों को दो भागो में विभाजित किया गया है। (1) क्रिस्टलीय ठोस (2) अक्रिस्टलीय ठोस 

(1.) क्रिस्टलीय ठोस : अधिकांश ठोस तत्व व यौगिक क्रिस्टलीय ठोस है। कार्बन तथा अन्य ठोस अधातुए , कॉपर ,सिल्वर व अन्य ठोस धातुएँ , सोडियम क्लोराइड , कैल्सियम फ्लुओराइड , बर्फ आदि लवण  क्रिस्टलीय ठोस है। 
 
(2.) अक्रिस्टलीय ठोस : कुछ पदार्थ जैसे काँच शीतलन पर क्रिस्टलीत नहीं होते है, परन्तु स्थाई रूप से अतिशीतित अवस्था में रहते है। ऐसे ठोस पदार्थ अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है। काँच ,रबर ,मोम , बटर , प्लास्टिक , स्टार्च आदि कई पदार्थ अक्रिस्टलीय ठोस है।


➤बहुरूपता : किसी पदार्थ के दो या अधिक क्रिस्टलीय रूप हो सकते है। किसी पदार्थ के दो या अधिक क्रिस्टलीय रूपों को बहुरूपी रूप या बहुरूपक कहते है। तथा किसी पदार्थ का एक से अधिक क्रिस्टलीय रूपों में विद्धमान होना बहुरूपता कहलाता है।  

➤उदहारण : जिंक ब्लैंड और वुर्ट्जाइट जिंक सल्फाइड के दो बहुरूपक है।  कैल्साइट और कैल्सियम कार्बोनेट के दो क्रिस्टलीय रूप है। 


➤समाकृतिकता : दो भिन्न यौगिको की क्रिस्टलीय आकृति समान हो सकती है। उन भिन्न यौगिको को जिनकी क्रिस्टलीय आकृति समान होती है समाकृतिक कहते है।  तथा भिन्न यौगिको का समान क्रिस्टलीय रूप में विद्धमान होना समाकृतिका कहलाता है। 

➤उदहारण : फेरस सल्फेट और जिंक सल्फेट समाकृतिक है , तथा क्यूप्रस सल्फाइड और सिल्वर सल्फाइड समाकृतिक है। 

Tuesday, July 7, 2020

Education for 10th class Chemistry Science

➤विरंजक चूर्ण के औद्योगिक निर्माण की बैचमान विधि : 
विरंजक चूर्ण बुझे चूने  Ca(OH)₂ पर क्लोरीन CL₂ गैस प्रवाहित करके बनाया जाता है। 
Ca(OH)₂ + CL₂ → CaOCL₂ + H₂O

➤बैचमान विधि ; 
यह सयंत्र एक मीनार की आकृति का होता है जिसमे बीच में लगी एक छड़ में कई चर्खिया लगी होती है। इसमें ऊपर की और से बुझा हुआ चूना वायु की सहायता से डाला जाता है तथा नीचे की और से क्लोरीन गैस तथा गर्म वायु प्रवाहित की जाती है। इस विधि में क्लोरीन तथा बूझे हुए चुने की क्रिया से ब्लीचिंग पाउडर बनता है जो नीचे के भाग से बाहर निकलता रहता है। 

➤उपयोग :
 1. ब्लीचिंग पाउडर विभिन्न पदार्थो में उपस्थित कुछ योगिको के साथ क्रिया करके क्लोरीन या ऑक्सीज़न बनाता है जो प्रबल ऑक्सीकारक होने के कारण उन पदार्थो के रंगो को उड़ा देती है अतः ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग विभिन्न पदार्थो (कपड़ों , फर्नीचर , कागज आदि ) के रंगो को उड़ाने में किया जाता है।  इस कारन इसे विरंजक चूर्ण कहते है। 
2. इसका उपयोग जीवाणुनाशक का रूप में तथा कुछ योगिको को बनाने में भी किया जाता है। 

Monday, July 6, 2020

Education for 10th class Chemistry Science[NCERT]

➤विरंजक चूर्ण बनाने की हेजनक्लेवर विधि : 
इस विधि में कई खोखले बेलन होते है जिनमे बीच में लगी छड़ो में कई विलोडक लगे होते है। इन बेलनों का सम्बन्ध एक दूसरे से इस प्रकार होता है की इनमे भरे पदार्थ एक दूसरे में आ - जा सकते है। ऊपरी बेलन में से बुझा हुआ चूना डालने पर निचले बेलन में से क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर तथा विलोडको को चलाने पर क्लोरीन तथा बुझे हुए चूने की क्रिया होती है तथा ब्लीचिंग पाउडर बन जाता है।



➤रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण :
 शुष्क बुझे चूने Ca(OH)₂ पर क्लोरीन CL₂ गैस प्रवाहित करके ब्लीचिंग पाउडर CaOCL₂ या विरंजक चूर्ण बनाते है। 
Ca(OH)₂ + CL₂ → CaOCL₂ + H₂O 

➤मुख्य रासायनिक गुण : 

1. तनु अम्लों से क्रिया करके ब्लीचिंग पाउडर क्लोरीन गैस मुक्त करता है। 
CaOCL₂ + H₂SO₄ → CaSO₄ + H₂O + CL₂
CaOCL₂ + 2CH₃COOH → Ca(CH₃COO)₂ + H₂O + CL₂

2. जल के साथ अभिक्रिया करके यह नवजात ऑक्सीज़न बनता है जो विरंजन का कार्य करती है। 
2CaOCL₂ + 2H₂O ⇋ CaCL₂ + Ca(OH)₂ + 2HCLO 
HCLO ⇋ HCL + O



Sunday, July 5, 2020

➤वैद्युत अपघट्ये : वह पदार्थ जिनके जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित की जा सकती है वैद्युत अपघट्ये कहलाते है। 
HCL के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित कर सकते है , अतः HCL वैद्युत अपघट्ये है। 
 
➤वैद्युत अपघटन : किसी वैद्युत अपघट्ये के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर उसमे अपघटन होने की क्रिया वैद्युत अपघटन कहलाती है। 
HCL के जलीय विलयन विद्युत प्रवाहित करने पर अपघटन क्रिया निन्मवत होती है।  
2HCL → H₂ + CL₂


➤आयनिक सिद्धांत : स्वान्ते आरहीनियस ने 1887 में वैद्युत अपघटन की क्रिया और वैद्युत अपघट्यो के अन्य गुणों को स्पष्ट करने के लिए एक सिद्धांत प्रतिपादित किया जो वैद्युत वियोजन का सिद्धांत या आयनिक सिद्धांत कहलाता है।  इस सिद्धांत के अनुसार : 

1. किसी वैद्युत अपघट्ये को जल या किसी अन्य विलायक में घोलने पर वह दो प्रकार के विद्युत आवेशित कणो में विभाजित हो जाता है। इस क्रिया को आयनन या वैद्युत वियोजन कहते है। 

➤उदहारण - सोडियम क्लोराइड (NaCL) को जल में घोलने पर यह सोडियम आयन (Na+) तथा क्लोराइड आयनो में (CL-) में विभाजित हो जाता है। 
NaCL ⇋ Na+ + CL-



2. विद्युत आवेश युक्त परमाणु या परमाणुओं के समूह को आयन कहते है। धनावेशित परमाणु या परमाणुओं के समूह को धनायन तथा ऋणावेशित परमाणु या परमाणुओं का समूह को ऋणायन कहते है। 

3. किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन में उपस्थित धनायनों के आवेशों की कुल संख्या ऋणायनों के आवेशों की कुल संख्या के बराबर होती है। अर्थार्त वैद्युत अपघट्ये का विलयन विद्युत उदासीन होता है।  

4. आयनन की क्रिया उत्क्रमणीय होती है जब किसी वैद्युत अपघट्ये को घोला जाता तो वैद्युत अपघट्ये के अणुओ तथा आयनो के मध्य साम्यावस्था स्थापित हो जाती है।  
उदहारण : AB ⇋ A+ + B-

6. किसी वैद्युत अपघट्ये के भौतिक तथा रासायनिक गुण उसके आयनो के स्वभाव तथा उसकी आयनन की मात्रा पर निर्भर करते है। 
 
7. किसी वैद्युत अपघट्ये के विलयन की वैद्युत चालकता विलयन में उपस्थित आयनो की संख्या तथा उनके आवेश पर निर्भर करती है। 
यदि आयनो की संख्या अधिक तथा आवेश की मात्रा अधिक है , तो वैद्युत चालकता भी अधिक होगी है।



Top most question Chemistry Science 12th class [NCERT2020]

➤औसत वेग : किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण के प्रति ईकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस अभिक्रिया का औसत...